गाजियाबाद। विकास प्राधिकरण की छवि धूमिल करने में दोषी प्राधिकरण की नीतियां ही नहीं यहां के कर्मचारियों/अधिकारियों का भ्रष्ट आचरण भी जिम्मेदार है अभी प्रचलित जांच अनुसार बाबू प्रमोद सक्सेना द्वारा भवन संख्या डी 276 ए एलआईजी ट्रिपल स्टोरी प्रताप विहार की रजिस्ट्री अन्य अपात्र को खड़ा करके किए जाने के कारण चर्चा में है श्रीमती अनुपमा भटनागर पत्नी आर0के0भटनागर सेवानिवृत्त आई0ए0एस0 को तत्काल आवंटन योजना में एक भवन संख्या डी 276ए प्रताप विहार एलआईजी ट्रिपल स्टोरी आवंटित होने के पश्चात उनके अनुरोध पर इंदिरापुरम में एन0के0-1/301 नीति खंड दिनांक 14/06/1994 को परिवर्तन कर आवंटित किया गया आवंटन नियमों का पालन न करते हुए प्रताप विहार के भवन को अनूपमा भटनागर से रिक्त ना करके दिनांक 28/08/2006 को श्रीमती भटनागर के पक्ष में किसी अन्य महिला को कबजा प्रदान किया गया दोनों संपत्तियों का भूस्वामी एक ही होने की दशा में व हस्ताक्षर में भिन्नता होने के कारण स्थिति स्पष्ट करने हेतु श्रीमती भटनागर को पत्र प्रेषित करने पर उनके पति श्री आरके भटनागर द्वारा लिखित रूप से सूचित किया गया कि मेरी पत्नी द्वारा प्रताप विहार स्थित भवन की रजिस्ट्री नहीं कराई गई है उक्त तथ्य सामने आने पर प्राधिकरण उपाध्यक्षा द्वारा दिनांक 17/08/2019 को प्रमोद सक्सेना कनिष्ठ लिपिक को फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करने का प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए विभागीय कार्रवाई प्रस्तावित करते हुए विशेष कार्य अधिकारी श्री सुशील कुमार चौबे को 15 दिन के अंदर जांच आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया इस बाबू के विरुद्ध शासन स्तर पर भी एक से अधिक संपत्ति व भ्रष्टाचार के संबंध में प्रचलित जांच को यहां के प्रशासन अनुभाग द्वारा सूचना ना प्रदान करते हुए जांच को बाधित किया जा रहा है कारण स्पष्ट है कि बाबू के संबंधों के आधार पर बड़ी-बड़ी मछलियां भी जाल में आ सकती हैं
फिलहाल तो जांच को लंबित कर लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है इस सुनियोजित षड्यंत्र के मामले के अलावा अन्य मामलों में भी प्रमोद सक्सेना बाबू को दोषी सिद्ध किया जा चुका है शासन की 50 वर्ष से ऊपर के भ्रष्ट कर्मियों को जबरन सेवानिवृत्ति की नीति भी पक्षपात का शिकार हो गई प्रतीत होती है।
जीडीए में बाबू का खेल: रजिस्ट्री में खुली पोल
