अयोध्या के लोग भूलने लगे थे रामलीला

लखनऊ। अयोध्यावासी रामलीला को भूलने लगे थे, लंबे समय से अयोध्या के पत्थर मंदिर की जैरामदास, लक्ष्मण किलाधीश के महंत मैथली रमण शरण, छोटी छावनी की रामलीला होती रही है। लेकिन इन जगहों पर रामलीला की औपचारिका ही निभायी जाती थी। अयोध्या सदभवना मंच के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र ने बताया कि कुछ वर्षो तक रामकथा पार्क में सरकारी तौर पर भी रामलीला का आयोजन हुआ है। जिसकी पहल मुलायम सिंह ने की थी। संसाधनों के आभाव में मठ मंदिरों की रामलीला को व्यापकता भी नही मिल सकी। आभासी रामलीला को अयोध्या के लोग घरों में टीवी पर देखकर गदगद है। हनुमान मंदिर के पुजारी संतोष वैदिक ने कहा कि मठमंदिरों में होने वाली रामलीला बेहद सीमित रही है। लेकिन नयी रामलीला को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह से माहौल बदलेगा।
होटल व्यवसायी अनूप गुप्ता ने कहा कि ‘रामलीला के आयोजन से लोग बेहद खुश है। वर्षो से यहां के लोग ऐसी ही रामलीला देखना चाहते थे। लोगों को उम्मीद है कि अगले वर्ष उन्हे मंच पर इस रामलीला को देखने का मौका मिलेगा। तमाम लोग रामलीला के बारे में फोन कर पूछ रहें है।’ मिठाई व्यवसायी सुरेश कुमार बताते है कि रामलीला का मतलब रावण दहन हो गया था। ऐसा सुना है कि कभी बेहद शानदार राजद्वार की रामलीला होती थी। जिस अयोध्या के पूर्व राजा का परिवार करता था। लेकिन न मैने देखा है न मेरे बच्चों ने। पूजा सामग्री के व्यवसायी भी गदगद है। श्रृंगार हाट के रामकिशुन का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट से रामजन्म भूमि मंदिर बनने के फैसले के बाद से अयोध्या में लोगों की आय बढ़ रही है, जीवन स्तर भी बेहतर हो रहा है। श्रद्धालुओं की तादात बढऩे से लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।