खनन से पर्यावरण को खतरा, कमिश्नर की टीम भी माफियाओं से हारी

mitt khanan
लखनऊ/ उरई। बालू का कारोबार जो कि अब आम आदमी के लिए एक चर्चा का विषय बनता जा रहा है इससे जहां करोड़ों रुपए लागत से बनी रोडें धराशाई हो गई वहीं जिन क्षेत्रों में इसका कारोबार हो रहा है वहां पर आम जनमानस शिक्षा स्वास्थ्य या अन्य सरकारी साधनों से वंचित नजर आ रहा है फिर भी इस गोरखधंधे पर शासन से लेकर प्रशासन तक के आला अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
जिला खनिज अधिकारी पंकज कुमार सिंह के कथनानुसार जिले में बालू का जो भी खनन हो रहा है ïउसमें पूर्ण पारदर्शिता अपनाई जा रही है और कहीं पर नदियों से बालू नहीं उठाई जा रही है। उनके कथनानुसार 18 डंप बालू के जो लोगों द्वारा अïवैध रूप से सड़कों के किनारे लगा लिए गए थे उनकी नीलामी कर दी गई है और जिन लोगों ने इन्हें खरीदा है वह विधिवत इसका काम कर रहे हैं परंतु जानकारी के अनुसार बालू माफिया जो अवैध रूप से नदी से बालू निकालकर पहले डंप कर लेते हैं और अपने ही आदमी से इसे नीलामी में खरीदकर शासन को राजस्व का करोड़ों का चूना लगाते हैं। पर्यावरण के नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है। गुंडा टैक्स की वसूली बदस्तूर जारी है। जनपद का कोई रोड ऐसा नहीं है जहां सुरक्षित निकला जा सके। इस सबको रोकने के लिए आयुक्त झांसी द्वारा दो टीमें गठित की गई थी जिसमें उरई और कालपी के उप जिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारियों को यह दायित्व सौंपा गया था कि वह किसी भी कीमत पर अïवैध खनन न होने दें और सारे घाटों पर स्वयं जाएं। वहां की वीडियोग्राफी कराएं और खनन का दोहन रोकें परंतु यह सिलसिला दो-तीन दिन तक तो लगातार चला अचानक ही शासन से बालू माफियाओं ने दबाव बनवाया और जो टीमें गठित की गई थी उनके हाथ-पैर ढीले पड़ गए। इस मामले में जब टीम के किसी भी अधिकारी से कुछ भी पूछो तो वह मौन साध जाते हैं। इससे यह बात साफ हो गई कि शासन द्वारा प्रशासन पर बालू माफियाओं का इतना दबाव है कि प्रशासन भी चाहकर भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। हाईकोर्ट के आदेश पर अïवैध पुलों को ढहाया गया परंतु बालू पर अवैध खनन बंद नहीं हो रहा है जबकि पर्यावरण को खतरा उत्पन्न होने लगा है। यहां पर जिन क्षेत्रों में बालू का खनन चल रहा है वहां के हजारों बच्चे स्कूल जाने को तरस रहे हैं। अध्यापक भी हफ्ते में एक-दो बार स्कूल पहुंच जाएं तो बहुत समझो। पूरे ग्रामीण क्षेत्रों में बुरा हाल है फिर भी सपा सरकार अपनी विकास को लेकर पीठ थपथपा रही है जबकि हकीकत यह है कि राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए बालू का अïवैध खनन पारसमणि की बटिया साबित हो रही है और हर किसी को यह धंधा इतना भा रहा है कि वह समय से पहले ही करोड़ों में खेलना चाहता है। कई बार खनिज मंत्री से लेकर खनिज सचिव जिलाधिकारी ने अभियान चलवाया। एक-एक सैकड़ा गाडिय़ां बालू की बंद हुई लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। पैंतीस रुपए घनमीटर मिलने वाली बालू ट्रक पर गुंडा टैक्स लगते ही हजारों की हो जाती है। ऐसे में प्रतिदिन जो यहां का सिंडीकेट है वह अपने अनुसार घाटों को चलवाकर सिर्फ पैसा कमाने का काम कर रहा है और सारे नियम-कानून ताक पर रखकर सपा की बचीखुची हकीकत भी उजागर करने में लगा हुआ है। हर व्यक्ति को यह समझ में आने लगा है कि इन माफियाओं के आगे प्रशासन जब नतमस्तक होता है तो फिर इनका आम आदमी विरोध करके क्या बिगाड़ सकता है।