एस्पाइरिंग लाइव्स: बिछड़े को मिलवाया

यह दीवाली राहुल और उसके परिवार के लिए बहुत ही शुभ और विशेष रहा है क्योंकि राहुल (पुरुष, 25 वर्ष) जो कि पिछले 14 महीनों से अपने घर से बिछड़ा हुआ था, उनको उनके परिवार से 9 नवंबर को मिलवाया गया जब राहुल के पिताजी (उमराव) और राहुल के चाचा (गणेश) ‘एस एस समिथि अभया केन्द्रम ‘, कोल्लम जिला, केरल; राहुल को वापस घर ले जाने के लिए आए और 13 नवंबर को राहुल अपने पिता और चाचा के साथ वापस घर पहुँच गया | घर पर सभी लोग बहुत खुश हुए |राहुल जो कि ’29, ग्राम- रामपुरिया बुजुर्ग, मानपुर, इंदौर, मध्य प्रदेश- 453661’ के रहने वाले हैं, वर्ष 2019 के सितम्बर माह में अपने घर से लापता हो गए थे | मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण राहुल जब अपने घर से बाहर गए थे, तो वापस नहीं लौट पाने के कारण ये पिछले साल के सितम्बर माह से अपने घर से लापता चल रहे थे | इनके लापता होने की वजह से इनके परिवार वालों का बुरा हाल था | परिवार वालों ने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की राहुल को ढ़ूँढ़ने की, लेकिन राहुल नहीं मिल सके थे क्योंकि राहुल की मानसिक अस्वस्थता ने उन्हें केरल राज्य पहुंचा दिया था | इनको इनकी असहाय स्थिति में 15 अगस्त, 2020 को एस एस समिथि अभया केंद्रम नामक संस्था, जोकि केरल के कोल्लम ज़िले में अवस्थित है, में भर्ती कराया गया ताकि इनका जीवन-यापन चल सके | इनकी पुनर्वास की व्यवस्था यहाँ हो गई | इस संस्था ने 17 अगस्त, 2020 को ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ एनजीओ जोकि मानसिक रूप से अस्वस्थ लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य करता है, से संपर्क किया ताकि राहुल को उनके परिवार से मिलाया जा सके | एस्पाइरिंग लाइव्स एनजीओ के मैनेजिंग ट्रस्टी, जिनका नाम ‘मनीष कुमार’ है, से संपर्क किया गया | ‘कोरोना’ की वजह से ‘एस एस समिथि अभया केंद्रम’ नहीं जाया जा सका राहुल का उनसे उनका परिवार और घर का पता लेने के लिए | इसलिए फ़ोन से मनीष कुमार ने राहुल से संपर्क किया | राहुल अपनी मानसिक अस्वस्थता के कारण अपने परिवार और घर के बारे ठीक से नहीं बता पाए | बावजूद इसके, मनीष कुमार ने राहुल के द्वारा बताए हुए अस्पष्ट तथ्यों के आधार पर ही इनके परिवार वालों का पता लगाना प्रारम्भ किया | और, उसी दिन (17 अगस्त को ही) राहुल के परिवार वालों का पता चल गया | मनीष कुमार ने विभिन्न स्रोतों के माध्यम से राहुल के परिवार वालों का पता लगाया | एस्पाइरिंग लाइव्स एनजीओ के संस्थापक, जिनका नाम ‘फरिहा सुमन’ है, का भी राहुल के परिवार का पता लगाने में अहम् सहयोग रहा है | जब मनीष कुमार ने राहुल के पिताजी (उमराव) को फ़ोन से राहुल के सकुशल केरल राज्य में होने की बात कही तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | पूरा परिवार अत्यंत ही खुश हो उठा | यह ख़ुशी इसलिए भी ज्यादा थी क्योंकि राहुल को लापता हुए 1 वर्ष हो चूका था और वह मानसिक रूप से भी अस्वस्थ था, इसलिए परिवार वालों को यह भी डर था कि राहुल शायद अब इस दुनिया में ही न हो | इसलिए, राहुल के होने भर की खबर मात्र से ही परिवार हर्ष के सागर में डूब गया | कोरोना कम होने का इंतजार किया गया ताकि इनके परिवार वाले ज्यादा सुरक्षितपूर्वक एस एस समिथि अभया केंद्रम आकर राहुल को वापस अपने घर लेकर जा सकें | इस बीच, राहुल के परिवार वालों का राहुल से फ़ोन के द्वारा संपर्क करवाया जाता रहा | चूँकि, राहुल के परिवार वाले ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, और बाहर के क्षेत्रों में ज्यादा गए भी नहीं हैं, इसलिए मनीष कुमार ने रेल के आरक्षण से लेकर आगमन-प्रस्थान तक की पूरी जानकारी राहुल के पिताजी को दी और साथ-ही-साथ, उमराव जी को यात्रा के दौरान कॉल (विशेषकर रात्रि में) भी करते रहे ताकि ये लोग सही रेलवे स्टेशन पर उतरें न कि अपने गंतव्य रेलवे स्टेशन से आगे निकल जाएँ रात्रि में रेल में सोते-सोते क्योंकि रेल से इतनी ज्यादा दुरी का सफर तय करने में ये लोग कम सहज़ थे |9 नवंबर को ही राहुल के पिताजी (उमराव), और चाचा (गणेश) एस एस समिथि अभया केंद्रम, कोल्लम जिला, केरल आए और 10 नवंबर को राहुल को लेकर अपने घर के लिए रवाना हो गए और 13 नवम्बर को राहुल अपने घर पहुँच गया | न केवल राहुल और उनका परिवार अपितु वहाँ के स्थानीय लोग भी राहुल का अपने परिवार से पुनर्मिलन को लेकर अत्यंत ही खुश हैं | ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ की टीम भी इस पुनर्मिलन से अत्यंत ही प्रसन्न है | आजकल के इस भाग-दौड़ के माहौल में जब पारिवारिक सौहार्द और पारिवारिक बंधन तेजी से कम होता जा रहा है, तब उस परिवेश में राहुल के परिवार वालों ने गरीबी, निरक्षरता और कोरोना के डर को पीछे धकेल पारिवारिक सौहार्द और पारिवारिक बंधन का, मध्य प्रदेश से केरल आकर और राहुल को वापस घर ले जाकर, जो अनूठा उदाहरण इस समाज को पेश किया है, उसके लिए हम राहुल के परिवार को सलाम करते हैं | मानसिक रूप से विक्षिप्त राहुल का उसके परिवार के द्वारा उसके गुम होने के बाद अपनाया जाना, बहुत ही सराहनीय है | इसके लिए, इस परिवार के बारे में लोगों को जानना चाहिए | इस सकारात्मक समाचार का मीडिया के द्वारा प्रचार-प्रसार करने का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ राहुल के परिवार का समाज को दिए गए सन्देश को लोगों तक पहुँचाना है |यह दीपावली राहुल और राहुल के परिवार के लिए वैसा ही रहा है जैसाकि तब रहा था जब भगवान राम चौदह वर्षों का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे और इस उपलक्ष्य में अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाई थी | यहाँ भी, राहुल चौदह महीने घर से बिछड़ा हुआ रहकर दीपावली के ही शुभ अवसर पर अपनी गृह-भूमि लौटा है | राहुल का परिवार भी राहुल के आगमन से दीपावली में उतना ही प्रसन्न हुआ जितना कि उस समय अयोध्यावासी हुए थे |एस्पाइरिंग लाइव्स एनजीओ सम्बंधित पंचायत (रामपुरिया खुर्द) के सरपंच को, राहुल का परिवार पता लगाने में ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ को किए गए सहयोग के लिए, धन्यवाद ज्ञापन करता है |गौरतलब है कि एस्पाइरिंग लाइव्स एनजीओ 8 मई, 2018 को पंजीकृत हुई है और बिना किसी बाह्य स्रोत की वित्तीय सहायता से इसने अभी तक 105 मानसिक रूप से अनियंत्रित लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाया है | एस्पाइरिंग लाइव्स एनजीओ की पंजीकृत शाखा तिरुपत्तूर जिला, तमिलनाडु में है; तथा मुख्य कार्यालय श्रीपेरुम्बुदुर, कांचीपुरम जिला, तमिलनाडु में है |मनीष कुमार ने राहुल के आगे की मानसिक चिकित्सा के लिए उमराव जी को राहुल को इंदौर का सरकारी मानसिक अस्पताल ले जाने के लिए कहा है | हम राहुल व इनके परिवार की सुखद भविष्य की कामना करते हैं |