चार मास बाद जगेंगे श्री हरि

डेस्क। भगवान श्री हरि विष्णु जगत के पालनहार हैं। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी देवउठनी एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु चार माह के शयनकाल के बाद जागते हैं। जागृत होने के बाद भगवान को सबसे पहले तुलसी अर्पित की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्री हरि विष्णु जब चार माह की निद्रा के बाद जागते हैं तो सबसे पहले तुलसी की ही प्रार्थना सुनते हैं। देवउठनी एकादशी का उपवास करने से गोदान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस एकादशी को हरि प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत शुभ और मंगलकारी है। इस दिन परिवार के सभी सदस्यों को भगवान श्री हरि विष्णु समेत सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। शंख और घंटी बजाकर भगवान विष्णु को जागृत करें। पितृदोष से पीडि़त लोगों को इस दिन विधिवत व्रत करना चाहिए। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा का श्रावण या वाचन करना चाहिए। इस एकादशी रातभर जागकर हरि नाम संकीर्तन करने से भगवान श्री हरि विष्णु अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु को पीले रंग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दिन से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह आयोजित किया जाता है। शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है। इस एकादशी के दिन भक्त श्रद्धा के साथ जो कुछ जप-तप, स्नान-दान करते हैं, वह सब अक्षय फलदायक हो जाता है। इस त्योहार के चार दिन बाद बैकुंठ चतुर्दशी के दिन हरिहर मिलन होता है। इस दिन भगवान शिव, सृष्टि का कार्यभार पुन: भगवान विष्णु को सौंप देते हैं।