अबलाओं पर अत्याचार: मिशन शक्ति का बंटाधार

श्यामल मुखर्जी/दिनेश शर्मा, गाजियाबाद। केंद्र सरकार का मिशन शक्ति का नारा/योजना तो अद्भुत है इसमें कोई शक नहीं लेकिन नौकरशाह व सरकारी कर्मी इसमें पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। मिशन शक्ति सिर्फ बोलने में व कागजों तक ही सीमित रह गया लगता है। इस घटना/उदाहरण से तो साफ प्रतीत होता है कि मिशन शक्ति के नाम पर अबलाओं को दिखावे मात्र के लिए एक दिन का कोतवाल/थाना प्रभारी बनाकर मिशन शक्ति के नाम पर प्रशासन महज खानापूर्ति कर वाहवाही लूटना चाहता है । हाल की घटना मिशन शक्ति योजना को मुंह चिढ़ाती नजर आती है। बड़ी सोचनीय बात है कि कुछ कथित अधिकारी वर्दी के रोब/नशे में कानून की धज्जियां बिखेर कर खाकी को बदनाम कर रहे हैं। ऐसे कर्मियों की वजह से ही पुलिस बदनामी झेलती है।
गाजियाबाद लोहिया नगर निवासी नंदलाल मित्तल ने अपनी पुत्री प्रिया मित्तल का विवाह हाल निवासी हरिद्वार मूलनिवासी मंगल पांडे नगर मेरठ से दिनांक 10:12 2016 को मेरठ रोड गाजियाबाद स्थित क्लाउड-9 फार्म हाउस में हिंदी रीति रिवाज अनुसार संपन्न कराया था। प्रिया मित्तल द्वारा बताए अनुसार व एफ.आई.आर. के अनुसार प्रिया मित्तल के माता-पिता ने करीब 50 लाख शादी में लगाए । एक गाड़ी हौंडा सिटी किस्तों पर लेकर व सोने के आभूषण आदि बहुत सामान दिया। फर्नीचर के 8 लाख वर परिवार को नकद दिए गए। इसके बावजूद भी सास-ससुर,पति,ननंद,नंदोई द्वारा दान दहेज से संतुष्ट ना होकर शादी के अगले दिन से ही 21 लाख नकद व बड़ी गाड़ी की मांग करने लगे तथा मांग ना पूरी होने पर क्रूरता पूर्ण व्यवहार किया गया। दिनांक 7-8-2017 को प्रिया को ससुराल वालों ने मायके छोड़ दिया तत्पश्चात इसी तरह प्रिया के माता-पिता ने अपनी इज्जत के खातिर ससुराल पहुंचाया लेकिन एफ.आई.आर. के अनुसार प्रिया के ससुर का प्रिया के सामने निर्वस्त्र होना, प्रिया के पति का अपनी दो साल की नन्ही बच्ची के प्राइवेट पार्ट से छेड़छाड़ करके इंसानी रिश्तो को तार-तार करना व सास,पति आदि के द्वारा आए दिन बुरी तरह से मारपीट कर घायल करना तथा पति द्वारा अपनी गर्लफ्रेंडस के साथ विवाह के उपरांत भी संबंध बनाए रखना तथा पति,सास,ननंद द्वारा प्रिया मित्तल का गर्भपात कराना तथा पति व सास द्वारा नन्ही बच्ची को जान से मारने की नियत आदि से पीडि़त होकर प्रिया पक्ष को अक्टूबर माह 2020 में एफ.आई.आर. दर्ज करानी पड़ी । एफ.आई.आर. दर्ज कराने के लगभग डेढ़ माह बाद स्थानीय पुलिस ने प्रिया के पति को हरिद्वार से अरेस्ट कर गाजियाबाद लाया गया। मगर प्रिया के परिवार जन का कहना है कि अरेस्ट होने के दो दिन तक भी राहिल की अरेस्ट करने की सूचना जी.डी. में दर्ज नहीं की । प्रिया पक्ष का आरोप है कि दो दिन तक भी राहिल को पुलिस कस्टडी में रखने के बावजूद पुलिस ने राहिल को लाभ पहुंचाने की नीयत से जी.डी.में सूचना दर्ज नहीं की । इसी बीच आरोपी का परिवार माननीय न्यायालय से अग्रिम जमानत ले आया। थाने जाने पर जब प्रिया व प्रिया के परिवार को आरोपी थाने में मौजूद नहीं मिला तब प्रिया व परिवार के सदस्यों ने तैनात पुलिस अधिकारी से इसका कारण पूछने व आरोपी की थाने में मौजूदगी को थाने में लगे कैमरे में दिखाने की गुजारिश की तो मौजूद पुलिस अधिकारी ने मारपीट कर थाने से भगाते हुए धमकी दी। इस घटना का हिडन कैमरे से पीडि़त पक्ष ने रिकॉर्डिंग कर साक्ष्य हेतु सुरक्षित रखी है। क्या पॉक्सो एक्ट के आरोपी को 48 घंटे तक थाने में ही बिठाए रखना उचित है। दो दिन तक पुलिस उक्त मामले का न्यायालय में केस दर्ज होने का कारण बताते हुए विधिक राय का ही इंतजार करती रही। विधिक राय तो प्राप्त हुई या ना हुई लेकिन आरोपी को अग्रिम जमानत का अवसर मिल ही गया। जिले के कप्तान के अनुसार उन्हें इसकी सूचना नहीं थी। इसी सवाल का जवाब प्रिया व प्रिया का परिवार मायूसी से प्रशासन से मांग रहा है। प्रिया परिवार की कुंठा है कि न्याय की देवी पर कभी-कभी धन की देवी भारी पड़ जाती हैं। इस तरह पुलिस प्रशासन का व्यवहार ही आम जनमानस में पुलिस की नकारात्मक व विलेन वाली छवि बनाता है। पीडि़त पक्ष का कहना है कि अब एक मात्र सहारा माननीय न्यायालय की शरण में जाना ही रह गया है। स्थानीय पुलिस प्रशासन के व्यवहार से अब पीडि़त पक्ष के लिए कोई उम्मीद शेष नहीं बची है ।