विकास प्राधिकरण के रिटायर कर्मचारियों ने राज्यपाल से लगाई गुहार

दिनेश जमदग्नि, गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश शासन के सौतेले व्यवहार से तंग विकास प्राधिकरण उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड कर्मचारी अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। रिटायर कर्मचारियों के प्रांतीय संगठन के अध्यक्ष श्री एमपी शर्मा जी का कहना है कि भाजपा शासित राज्य सरकार द्वारा विकास प्राधिकरण एवं राज्य कर्मचारियों में आपस में सौतेला व्यवहार किए जाने से आजिज आकर विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने प्रांतीय संगठन का निर्माण कर शासन को अनेकों बार पत्राचार कर अपनी मांगों के लिए मांग पत्र प्रेषित किया लेकिन कोई सुनवाई कोई जवाब आज तक प्राप्त नहीं हुआ। सरकार के ढीठ रवैया से क्षुब्ध होकर उ0प्र0 विकास प्राधिकरण सेवानिवृत्त कर्मचारी संगठन ने मा0 राज्यपाल महोदया से गुहार लगाई गई है।
महामहिम महोदया को स्थिति स्पष्ट करते हुए ज्ञात कराया गया कि समय पर पेंशन का भुगतान न होने के कारण पेंशनरों को अपरिहार्य स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है जबकि प्रख्यापित पेशन लाभ नियमावली 2011 के भग छ:(धारा- 20)16 में पेंशन निधि की स्थापना हेतु स्पष्ट आदेश के बावजूद विकास प्राधिकरण द्वारा पेंशन निधि की स्थापना नहीं की गई है। उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण के केंद्रीयत/अकेंद्रीयत सेवा के कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग के ही अनुसार पेंशन का भुगतान होने का कारण वित्त विभाग द्वारा जनवरी 2018 के बाद से अर्थात जुलाई 2018 से महंगाई राहत वृद्धि का शासनादेश जारी ना होना मुख्य कारक है जिसके कारण महंगाई राहत 142त्न पर ही फ्रीज है जबकि राज्य कर्मचारियों के लिए पंचम वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार पेंशन प्राप्त कर रहे कर्मचारियों को एवं सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार पेंशन प्राप्त कर रहे कर्मचारियों की महंगाई राहत में जुलाई 2018,जनवरी 2019 एवं जुलाई 2019 से वृद्धि के शासनादेश जारी कर दिए गए हैं।
एमपी शर्मा का कहना है कि शासनादेश 2518/9-1-93-3सा/88 दिनांक 21-3-1993 में निर्देशित व्यवस्था के अनुसार राज्य कर्मचारियों के लिए महंगाई राहत की दरों में वृद्धि हो जाने के फलस्वरूप स्थानीय निकायों(प्राधिकरण) के पेंशनर के लिए संशोधित महंगाई राहत की दरें यथास्थित स्वत: अनुमन्य किए जाने के निर्देश के अनुपालन न होने के कारण प्राधिकरण के असहाय पेंशनर(वरिष्ठ नागरिक) को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जबकि शासन द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को सुविधा देने का आंकड़ों का खेल दिखाकर अपनी वाहवाई का खुद ही ढोल पीटा जा रहा है। महामहिम महोदया के यह भी संज्ञान में लाया गया कि माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ में योजित रिट याचिका संख्या 556/2009 एवं रिट याचिका संख्या 876/2004 में दिनांक 20-11-2010 को पारित आदेश में राज्य कर्मचारियों के समान नियमित पेंशन भुगतान के आदेश पारित होने के बावजूद प्रदेश के प्राधिकरण में मा0 उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन पूर्णरूपेण नहीं हुआ है।( राज्य कर्मचारियों को 10 वर्ष की सेवा पर अनुपातित पेंशन एवं बीस वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन जबकि प्राधिकरण कर्मचारी को 20 वर्ष की सेवा पर अनुपातिक पेंशन एवं 33 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन होने के कारण अधिकांश कर्मचारी 19 वर्ष तक नियमित सेवा एवं 20 वर्ष तक दैनिक वेतन/वर्क चार्ज के रूप में 39 वर्ष सेवारत रहने के उपरांत भी पेंशन से वंचित होने के कारण कुंठाग्रस्त एवं सम्मानजनक जीवन जीने में असमर्थ हैं) प्रांतीय अध्यक्ष द्वारा महामहिम महोदया से अपनी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने एवं प्रख्यापित शासनादेश व माननीय न्यायालय के आदेशों का अनुपालन राज्य सरकार से कराए जाने की प्रार्थना करते हुए कहा कि राज्य कर्मचारियों को न्यूनतम 5 वर्ष की सेवा पूर्ण करने तथा 10 वर्ष से कम की सेवा पर पेंशन के स्थान पर सर्विस ग्रेच्युटी भुगतान की जाती है जो सेवा की प्रत्येक छमाही के लिए अंतिम माह की परिलब्धि के 1/2 के बराबर होती है जबकि उ0 प्र0 विकास प्राधिकरण पेंशन लाभ नियमावली 2011 भाग-2 पेंशन और उपादान धारा 24(4) में स्पष्ट उल्लेख है कि पेंशन या उपादान की धनराशि उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारियों पर लागू प्रक्रिया व सूत्र के अनुसार संगणित समुचित धनराशि होगी लेकिन प्राधिकरण में इसे भी अनदेखा किया जा रहा है।