गाजियाबाद की मंजू उपाध्याय बनी मिशन शक्ति का सर्वश्रेष्ठ पहचान

श्यामल मुखर्जी/दिनेश शर्मा,गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में होमगार्ड के पद पर तैनात मंजू उपाध्याय प्रदेश में चल रहे मिशन शक्ति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बन गई है। मंजू उपाध्याय अन्य सामान्य दिनों की तरह उस दिन भी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अतिक्रमण निरोधी प्रवर्तन सचल दस्ते में अन्य साथियों के साथ ड्यूटी में वाहन पर सवार थी। गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही वाहन चालक को अचानक दिल का दौरा पड़ा। वाहन चालक की हार्ट फेल की अवस्था में घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। वाहन चालक मृत्यु होने के पश्चात स्टेरिंग से एक तरफ लुढक़ गया। घबराहट के आलम में वाहन में सवार किसी को भी यह नहीं सुझ रहा था कि अनियंत्रित गतिमान वाहन को कैसे नियंत्रण में लिया जाए। उसी वक्त मंजू उपाध्याय ने अपनी सूझबूझ व हिम्मत से वेग से चलते हुए वाहन को नियंत्रित किया। जिससे वाहन में सवार व्यक्तियों की तथा घटनास्थल के पास ही कुछ दूरी पर खेल रहे बच्चों की जान बच गई तथा एक बहुत बड़ा हादसा होते-होते टल गया। परंतु मंजू उपाध्याय के इस बहादुरी पूर्ण कार्य की ना तो स्थानीय प्रशासन स्तर पर ही और ना ही केंद्र सरकार के किसी निकाय द्वारा मिशन शक्ति के लिए पहचान बनाई गई। हालांकि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्षा कंचन वर्मा द्वारा घटना के तुरंत बाद मंजू उपाध्याय को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया था। मंजू उपाध्याय व उसके परिवार तथा परिजनों के लिए खुशी का विषय यह है कि लगभग 1 वर्ष बाद राज्य सरकार द्वारा 6 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम में लखनऊ में बुलाकर महानिदेशक होमगार्ड उत्तर प्रदेश कमेंडेशन डिस्क प्रशस्ति पत्र से माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के हाथों सम्मानित कराया गया। इसके अलावा महानिदेशक होमगार्ड उत्तर प्रदेश द्वारा रु 5000 की राशि भी सम्मान के रूप में होमगार्ड मंजू उपाध्याय प्रदान की गई । मंजू उपाध्याय के इस सुझबुझ भरे साहसिक कारनामे की जीडीए के अधिकारियों व स्थानीय संगठनों ने भूरी भूरी प्रशंसा की । प्रदेश में चल रहे मिशन शक्ति योजना के तहत स्थानीय प्रशासन भी 100 महिलाओं को उत्कृष्ट कार्य किए जाने के फलस्वरुप सम्मानित किए जाने की योजना चर्चा में है मंजू उपाध्याय के परिवार व परिजनों की मांग है कि मंजू उपाध्याय को राष्ट्रपति पुरस्कार दिया जाना चाहिए तथा मिशन शक्ति के तहत पुरस्कृत किया जाना चाहिए ।