मकर सक्रांति: मंत्र के साथ करिए दान

डेस्क। मकर सक्रांति सूर्य के मकर राशि में आने पर होती है। शनि मकर राशि के स्वामी है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्य भगवान मकर राशि पर अपने पुत्र के दर्शन करने के लिए आते हैं।
इस वर्ष मकर सक्रांति सूर्य प्रात: 8:14 बजे आएंगे। सूर्य के मकर राशि में आने से उत्तरायण आरंभ हो जाता है। अयन का अर्थ होता है गति। सूर्य की दो प्रकार की गति है उत्तरायण और दक्षिणायन। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है और दक्षिणायन को देवताओं की रात। पितामह भीष्म ने भी उत्तरायण में सूर्य आने पर ही अपना शरीर त्यागा था। सक्रांति का अर्थ होता है बदलाव। 14 जनवरी के पश्चात सूर्य की गति उत्तर की ओर आरंभ हो जाती है। सूर्य की किरणों में गर्मी आने शुरू हो जाती है और दिन बड़ा होना शुरू हो जाता है। आपने महसूस किया होगा गर्मियों में सूर्य उत्तर की ओर अर्थात ईशान दिशा में निकलते हैं और दक्षिणायन में सर्दियों में दक्षिण की ओर अर्थात आग्नेय दिशा में निकलते हैं। इसलिए इनका नाम उत्तरायण और दक्षिणायन है।
सक्रांति देवताओं का पर्व है। इस दिन तीर्थ क्षेत्र पर, संगम अथवा गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति के अनुसार लोग स्नानादि से निवृत्त होकर विभिन्न वस्तुएं दान करते हैं। प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व ही शुद्ध जल से स्नान करना बहुत शुभ माना गया है। स्नान के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य की आराधना और अपने इष्ट और गुरु के मंत्र का जाप बहुत ही उत्तम फल देने वाला है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी मंत्र जाप, यज्ञ और दान किया जाता है। उसका शुभ प्रभाव 10 गुना होता है। मकर सक्रांति को लोग खिचड़ी बनाते हैं। खिचड़ी का अर्थ है- सम्मिश्रण या समरसता। चावल,उड़द की दाल,गुड,घी तथा अन्यान्य वस्तुओं के द्वारा बनाई गई खिचड़ी समाज को एकरूपता में बांधने का भी संदेश देती है। इस दिन गरीबों को कंबल, वस्त्र का दान करना बहुत उत्तम होता है।