काशी से भिखारियों को हटाने की कवायद

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी तेजी से स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर है। घाट से लेकर सडक़ों, पार्कों, चौराहों, मंदिरों के आसपास तेजी से सुंदरीकरण हो रहा है। काशी के हृदय स्थल गोदौलिया-दशाश्वमेध की तो सूरत ही बदल दी गई है। काशी विश्वनाथ मंदिर को कॉरिडोर के जरिये भव्यता दी जा रही है। इससे पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
लॉकडाउन खुलने के बाद पिछले कुछ महीनों में उम्मीद से ज्यादा पर्यटक काशी पहुंचे हैं। इन पर्यटकों की आरामदेह यात्रा में जगह-जगह पर मौजूद भीख मांगने वाले लोग परेशानी का सबब बनते हैं। कई बार तो भिखारियों से पीछा छुड़ाने में पयर्टकों के पसीने छूट जाते हैं। भिखारियों के कारण ही वाराणसी का स्वरूप भी देश-विदेश में खराब होता है। कई बार भीख मांगने वाले गाली गलौज और अमिशाप देने पर उतर आते हैं। ऐसे में हर पर्यटक चाहता है कि उनका सामना भिखारियों से न हो।
इन्हीं परेशानियों को दूर करने का अब रास्ता निकाला जा रहा है। बेघरों और अनाथों के लिए काम करने वाली वाराणसी की संस्था ‘अपना घर आश्रम’ ने इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव का प्रजेंटेशन कमिश्नर और आला अधिकारियों की मौजूदगी में 25 जनवरी को होने जा रहा है। इस बैठक के लिए कमिश्नर ने 18 विभागों के अधिकारियों को बुलाया है। पुलिस, प्रशासन के साथ ही प्रोबेशन अधिकारी भी बैठक में मौजूद रहेंगे। सबकुछ ठीक रहा तो भिखारियों को अपना घर आश्रय स्थल पर शिफ्ट किया जाएगा। वहां इनके रहने, खाने और पुनर्वास की व्यवस्था होगी। कुछ सरकारी आश्रयस्थल भी इसके लिए चिह्नित हो सकते हैं।
अपना घर संचालक डाक्टर निरंजन का मानना है कि भीख मांगने वाले ज्यादातर लोग आलसी प्रवृत्ति के होते हैं। यह लोग कोई काम नहीं करना चाहते। काशी में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। ऐसे में इन्हें आसानी से भीख भी मिल जाती है। यह भी देखा गया है कि अक्सर भिखारियों का एक ग्रुप हेड भी होता है। जो इनसे पैसे वसूलता है। इन्हें शरण देता है। यह भी देखा गया है कि प्रसिद्ध मंदिरों और विशेष त्योहारों के दौरान भीख मांगने के लिए इन भिखारियों को गाडिय़ों में भरकर पहुंचाया जाता है। ज्यादातर भीख मांगने वाले नशे की प्रवृत्ति वाले भी होते हैं। बच्चों और महिलाओं का दुरुपयोग भी देखा गया है।