किसान आंदोलन में पडऩे लगी है फूट

नई दिल्ली। दिल्ली के बॉर्डर्स पर हजारों की संख्या में किसान नवंबर महीने से नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा से कुछ दिनों तक आंदोलन जरूर कुछ धीमे पड़ा, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेाश टिकैत के भावुक होने के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए। आंदोलन कुछ ही देर में कई गुना अधिक बढ़ गया। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जगह से किसान बड़ी संख्या में प्रदर्शन वाली जगहों पर आ रहे हैं और कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा और बीकेयू नेता राकेश टिकैत के ऐसे बयान सामने आए हैं, जिसमें भिन्नता नजर आ रही है। इन बयानों को आधार मानें तो किसान नेताओं में कुछ हद तक फूट जरूर दिखाई दे रही।
किस बयान से दिखाई दे रही किसान नेताओं में फूट?
किसान नेता लगातार केंद्र सरकार से पिछले दिनों तक बातचीत कर रहे थे। सरकार और इन नेताओं के बीच में 11 दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन पूरी तरह से हल नहीं निकल सका। सरकार का कानूनों को एक-डेढ़ साल तक के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव भी किसान नेता अस्वीकार कर चुके हैं। वहीं, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस में ट्रैक्टर परेड निकाली गई, जिसमें जमकर हिंसा हुई। इसके बाद पुलिस ने कई किसानों को हिरासत में लिया या फिर गिरफ्तार किया। इस पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को एक बयान जारी किया। मोर्चा के किसान नेताओं ने कहा है कि वे सरकार से तब तक बातचीत नहीं करेंगे, जबतक हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई नहीं हो जाती है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ”सरकार की तरफ से औपचारिक बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। ऐसे में हम स्पष्ट करते हैं कि गैरकानूनी ढंग से पुलिस हिरासत में लिए गए किसानों की बिना शर्त रिहाई के बाद ही कोई बातचीत होगी।”