चीन को एक बार फिर से लगी मिर्ची

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत से हर मोर्चे पर मात खाने वाले चीन को एक बार फिर से मिर्ची लगी है। एलएसी गतिरोध के बीच दूसरे देशों से भारतीय सेना के लिए खरीदे जाने वाले हथियारों पर पड़ोसी देश ने कहा है कि इससे कोई फायदा नहीं होने वाला। दरअसल, जब से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच आमना-सामना हुआ है, तब से केंद्र सरकार लगातार अपनी सेना को और अधिक ताकतवर बना रही है। इसके लिए अमेरिका, फ्रांस, रूस आदि देशों से बड़े स्तर पर हथियार खरीदे जा रहे हैं, ताकि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहा जा सके। वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सरकार ने सैन्य बजट में भी पिछले साल के बजट की तुलना में इजाफा किया है। इन्हीं तमाम वजहों से चीन को डर लगने लगा है। चीनी सरकार के भोंपू माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स में लियू झिन ने भारतीय इकॉनमी, बजट, सैन्य आदि मसलों पर एक आर्टिकल लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आई भारतीय इकॉनमी में साल 2020-21 में 7.7 फीसदी के कॉन्ट्रैक्टशन का अनुमान है। इससे सैन्य बजट में मामूली बढ़ोतरी की गई है। अतिरिक्त खर्च चीन के साथ सीमा विवाद के बीच नए सैन्य हथियार खरीदने में किया जाएगा। हालांकि, दूसरे देशों से हथियार खरीदकर भारतीय सेना को चीन के साथ सीमा विवाद निपटाने में ज्यादा लाभ नहीं मिलने वाला है।