एचसी में जीडीए की कच्ची दलीलें: तीन महीने में रिव्यू कर पेंशन भुगतान के आदेश

दिनेश शर्मा, गाजियाबाद। मदन सिंह यादव वर्ष 1988 में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में बतौर लिपिक दैनिक वेतन पर लगाए गए थे। वर्ष 2007 में उन्हें नियमित किया गया और दिसंबर 2019 को उन्हें रिटायर कर दिया गया लेकिन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा उन्हें पेंशन आदि भुगतान नहीं किया गया। मदन सिंह यादव द्वारा प्राधिकरण के हर स्तर के अधिकारी और उपाध्यक्ष से भी पेंशन भुगतान के लिए गुहार लगाई लेकिन उन्हें पेंशन का भुगतान नहीं किया गया। मरता क्या न करता तब मदन सिंह यादव ने मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद में मुकदमा डाल दिया। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का तर्क था कि इनकी सर्विस कम है। पेंशन नहीं दी जा सकतीहै। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की इस कमजोर दलील को मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा सिरे से खारिज कर दिया और मदन सिंह यादव की सारी सर्विस यानि कि दैनिक वेतन के रूप में की गई सर्विस को जोड़ते हुए तीन महीने के अंदर पेंशन भुगतान के आदेश दिए गए हैं। देखना यह है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का मुंह की खा जाने के बाद अब अगला कदम क्या होगा।उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण सेवानिवृत्त कर्मचारी संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष एम पी शर्मा ने बताया कि यह पहला केस नहीं है। इससे पहले गंगा मोहन श्रीवास्तव क्लर्क की भी पेंशन नहीं दी गई थी। उनके द्वारा भी मा0 न्यायालय इलाहाबाद और सर्विस ट्रिब्यूनल की शरण ली गई है और अब गाजियाबाद विकास प्राधिकरण उन्हें पेंशन दे रहा है। इसके अतिरिक्त सौबत सिंह ड्राईवर,श्याम लाल शर्मा मकैनिक,रामतीर्थ सुपरवाइजर, बृजमोहन शर्मा सुपरवाइजर,विरेन्द्र सिंह उद्यान निरीक्षक आदि के एक दर्जन से अधिक पेंशन भुगतान को लेकर उच्च न्यायालय में केस विचाराधीन हैं। शीघ्र ही उन केसों में भी निर्णय आने वाले हैं और निर्णय कर्मचारी हित में ही आने के आसार बताए जा रहे हैं।