महोबा के इतिहास में अमर हो गये पुष्कल

महोबा। आप इस महान शख्सियत को जानते हैं ? ये हैं महोबा के गुमनाम हीरो पुष्कल सिंह, जो महोबा के रहने वाले नहीं थे लेकिन महोबा के इतिहास में अमर हो गए हैं। महोबा के तत्कालीन सदर विधायक नाना अरिमर्दन सिंह की जिद पर सन 1995 में 11 फरवरी को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने महोबा जिला बनाया तो उसके लिए जो आंदोलन यहां वर्षों चला, उस आंदोलन को अपने मुकाम तक पहुंचाने में पुष्कल सिंह का योगदान सबसे ज्यादा रहा। नयी पीढ़ी इस महान शख्सियत को शायद इसलिए नहीं जानती क्योंकि वे महोबा जिला बनने के बाद वापस अपने गांव कुहरा (घाटमपुर) चले गए थे जहां एक स्कूल खुलवाने के लिए दबंगों से हुए विवाद में 1997 में उनकी हत्या कर दी गयी। पुष्कल सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बनकर 1991 में महोबा आये थे लेकिन यहां वे संघ के दायित्वों के साथ यहां चल रहे महोबा जिला बनाओ आंदोलन से जुड़ गये और उसे नयी दिशा प्रदान की। सन 1993 में जब उनका यहां से तबादला कर दिया गया तो उन्होंने बाहर जाने की बजाय संघ प्रचारक का पद त्याग दिया और पूरी तरह आंदोलन में कूद पड़े। धरना-प्रदर्शन के अलावा गांव-गांव जाकर महोबा को जिला बनाने के लिए मुख्यमंत्री के नाम पोस्टकार्ड अभियान शुरू कर दिया। उनको जनता का व्यापक जनसमर्थन मिला। महोबा जिला बनने के बाद धीरे-धीरे इतिहास के गुमनाम पन्नों में खो गये पुष्कल सिंह की स्मृति में पिछले वर्ष यानि 2020 में बुंदेली समाज ने एक पुरस्कार प्रारंभ किया। स्कूलों में एक निबंध प्रतियोगिता करायी ताकि नयी पीढ़ी भी उस महान शख्सियत को जाने और ये समझे कि हमारा महोबा यूं ही जिला नहीं बन गया। इसके लिए लंबा आंदोलन करना पड़ा है और पुष्कल सिंह जैसे लोगों को बड़ी कुर्बानियां देनी पड़ी हैं।

साभार-तारा पाटकर बुंदेलखंडी