ऋषिगंगा घाटी: 11 शव मिले, 150 अभी भी लापता

देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में अचानक आई विकराल बाढ़ के बाद प्रभावित क्षेत्र में बचाव और राहत अभियान में तेजी लाई गई है जबकि आपदा में मरने वालों की संख्या 11 पहुंच गई और 142 से ज्यादा लोग अभी लापता हैं ।ऋषिगंगा घाटी के रैंणी क्षेत्र में हिमखंड टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में रविवार को अचानक आई बाढ़ से प्रभावित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट की निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड पनबिजली परियोजनाओं में लापता हुए लोगों की तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों के बचाव और राहत अभियान में जुट गए जिससे सोमवार को इन कार्यों में तेजी आई।उत्तराखंड राज्य आपदा परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, आपदा में अब तक कुल 153 लोगों के लापता होने की सूचना है जिनमें से 11 के शव बरामद हो चुके हैं ।इसके अलावा, आपदा प्रभावित क्षेत्र से अब तक 27 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है । इनमें से एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की छोटी सुरंग से 12 जबकि ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना स्थल से 15 लोगों को सुरक्षित निकाला गया ।बचाव और राहत अभियान जोरों से जारी है जिसमें बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और खोजी कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है ।तपोवन क्षेत्र में बिजली परियोजना की बड़ी सुरंग के घुमावदार होने के कारण उसमें से मलबा निकालने तथा अंदर तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं ।रविवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करके आए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को कहा कि इस सुरंग में करीब 35 लोगों के फंसे होने की आशंका है ।उन्होंने कहा कि रविवार से ही इन लोगों को निकालने के लिए तलाश और बचाव अभियान चलाया जा रहा है तथा इसके लिए मौके पर पर्याप्त मानव संसाधन मौजूद है ।रावत ने कहा कि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार कल से ही इस क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं जबकि गढ़वाल आयुक्त और पुलिस उपमहानिरीक्षक, गढ़वाल को भी सोमवार से वहीं डेरा डालने के निर्देश दिये गये हैं।उन्होंने कहा कि चमोली जिला प्रशासन की पूरी टीम रविवार से ही क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्यों में लगी है। इसके अलावा अन्य जिलों से भी अधिकारी मौके पर भेजे गये हैं ताकि वहां मिलने वाले शवों का पंचनामा एवं पोस्टमार्टम जल्द हो सके।बाढ़ आने का कारण तत्काल पता नहीं चल पाया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि हिमखंड टूटने से नदी में बाढ़ आ गई ।