आदि महोत्सव: आदिवासियों की कलाकृतियों का संगम

नई दिल्ली। भारत भर से लगभग 200 स्टालों के साथ, आदि महोत्सव में एक छोटा सा भारत मौजूद है जहाँ आदिवासी कारीगरों, बुनकरों, कुम्हारों, कठपुतलियों और कढ़ाई करने वालों की उत्तम शिल्प परंपराएँ – सभी एक ही स्थान पर मौजूद हैं। आगंतुक कला कृतियों की एक विस्तृत श्रृंखला से अपनी पसंद की कृति ले सकते हैं, जैसे कि वार्ली शैली या पत्ताचित्र शैली की चित्रकला; पूर्वोत्तर के वांचो और कोन्याक जनजातियों की हार के लिए डोकरा शैली में दस्तकारी की गई ज्वैलरी और जीवंत वस्त्रों और सिल्क; रंग-बिरंगी कठपुतलियों और बच्चों के खिलौनों से लेकर पारंपरिक बुनाई जैसे डोंगरिया शॉल और बोडो बुनाई; बस्तर के लौह शिल्प से लेकर बांस शिल्प और बेंत के फर्नीचर के लिए; मिट्टी के बर्तन जैसे कि नीले बर्तन और प्रसिद्ध लोंगपी मिट्टी के बर्तन, कुछ भी अपनी पसंद की वस्तु यहाँ से खरीदी जा सकती है।
हथकरघा और हस्तशिल्प और प्राकृतिक उत्पादों की खरीदारी के अलावा, कोई भी आदिवासी खान-पान व्यंजनों का सबसे अच्छा आनंद ले सकता है और आदि महोत्सव में आदिवासी कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रदर्शन के भी मज़े ले सकता है।आदि महोत्सव- आदिवासी शिल्प, संस्कृति और वाणिज्य की आत्मा का उत्सव, दिल्ली हाट, आईएनए, नई दिल्ली में 15 फरवरी, 2021 तक सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक जारी है। आदि महोत्सव में जाएँ और “लोकल फॉर वोकल अर्थात, स्थानीय के लिए मुखर” आंदोलन के साथ आगे आए प्त आदिवासियों की बनाई वस्तुएं खरीदें। आदि महोत्सव एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसे 2017 में शुरू किया गया था। यह त्योहार देश भर के आदिवासी समुदायों के समृद्ध और विविध शिल्प, संस्कृति के साथ लोगों को एक ही स्थान पर परिचित कराने का एक प्रयास है। हालांकि, महामारी के कारण, त्योहार का वर्ष 2020 का संस्करण आयोजित नहीं किया जा सका। इस प्रदर्शन में आदिवासी हस्तशिल्प, कला, चित्रकला, कपड़े, आभूषण और 200 से अधिक स्टालों के माध्यम से प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। महोत्सव में देश भर से लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकार भाग ले रहे हैं।जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत भारतीय आदिवासी सहकारी विपणन विकास संघ (टीआरआईएफईडी-ट्राइफेड), आदिवासी सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली प्रमुख संस्था के रूप में, कई पहलें कर रहा है जो आदिवासी लोगों की आय और आजीविका में सुधार करने में मदद करती हैं, इसके अलावा यह संस्था, जनजातीय लोगों के जीवन और परंपरा का के संरक्षण के लिये पहल कर रही है। आदि महोत्सव एक ऐसी पहल है जो इन समुदायों के आर्थिक कल्याण को सक्षम करने और उन्हें मुख्यधारा के विकास के साथ लाने में मदद करती है।