बालाराम (पुरुष, 46 वर्ष) जो कि पिछले 2 वर्षों से अपने घर से बिछड़े हुए थे, उनको उनके परिवार से 8 फ़रवरी को ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ एनजीओ, चेन्नई, तमिलनाडु के द्वारा मिलाया गया जब बालाराम का बेटा (संजय राजपूत) ‘एस एस समिथि अभया केन्द्रम’ संस्था, कोल्लम जिला, केरल; बालाराम को वापस घर ले जाने के लिए आया। 10 फ़रवरी को बालाराम अपने बेटे के साथ वापस घर पहुँच गए। घर पर सभी लोग बहुत खुश हुए। बालाराम, जो ‘वार्ड नंबर 7, बेरखेड़ी ग्राम, राजपुर पंचायत, कुरवाई थाना, विदिशा जिला, मध्य प्रदेश’ के रहने वाले हैं, 2 वर्ष पूर्व अपने घर से लापता हो गए थे। मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण बालाराम जो कि इंदौर में दाल मील में काम करते थे, और जब उन्हें इंदौर से अपने घर आने के लिए ट्रेन पकड़नी थी तो गलती से उन्होंने दूसरी ट्रेन पकड़ ली थी, और अपने घर नहीं पहुँच सके थे। ये लापता हो गए थे। इनके लापता होने की वजह से इनके परिवार वालों का बुरा हाल था। परिवार वालों ने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की बालाराम को ढ़ूँढ़ने की, लेकिन वह नहीं मिल सके क्योंकि बालाराम की मानसिक अस्वस्थता ने उन्हें घर से काफी दूर (केरल राज्य) पहुँचा दिया था। इनको इनकी असहाय स्थिति में 15 अगस्त (पिछले वर्ष) को एस एस समिथि अभया केंद्रम नामक संस्था में भर्ती कराया गया ताकि इनका गुजर-बसर हो सके। इनकी पुनर्वास की व्यवस्था यहाँ हो गई। इस संस्था ने 14 नवम्बर (पिछले वर्ष) को एस्पाइरिंग लाइव्स एनजीओ, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य करता है, से संपर्क किया ताकि बालाराम को उनके परिवार से मिलाया जा सके। एस्पाइरिंग लाइव्स के मैनेजिंग ट्रस्टी, जिनका नाम ‘मनीष कुमार’ है, से फ़ोन से संपर्क किया गया। ‘कोरोना’ की वजह से मनीष कुमार बालाराम का उनसे उनके परिवार और घर का विवरण लेने के लिए एस एस समिथि अभया केंद्रम नहीं जा सके थे। इसलिए, मनीष कुमार के द्वारा बालाराम को फ़ोन से संपर्क साधा जा सका ताकि बालाराम को उनके परिवार से मिलाने का कार्य किया जा सके। बालाराम अपनी मानसिक अस्वस्थता के कारण अपने परिवार और घर के बारे में ठीक से नहीं बता पाए। बावजूद इसके, मनीष कुमार ने बालाराम के द्वारा बताए हुए अस्पष्ट तथ्यों के आधार पर ही इनके परिवार वालों का पता लगाना प्रारम्भ किया। और, 17 नवम्बर (पिछले वर्ष) को ही उन्हें बालाराम के परिवार वालों का पता लग गया। मनीष कुमार ने विभिन्न स्रोतों के माध्यम से बालाराम के परिवार वालों का पता लगाया। जब मनीष कुमार ने बालाराम के बेटे (संजय राजपूत) को फ़ोन से बालाराम के सकुशल केरल राज्य में होने की बात कही तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरा परिवार अत्यंत ही खुश हो उठा। यह ख़ुशी इसलिए भी ज्यादा थी क्योंकि बालाराम को लापता हुए लम्बा समय बीत चूका था और वह मानसिक रूप से भी अस्वस्थ थे, इसलिए परिवार वालों को यह भी डर था कि बालाराम शायद अब इस दुनिया में ही न हों। इसलिए, बालाराम के होने भर की खबर मात्र से ही परिवार हर्ष के सागर में डूब गया। कोरोना थोड़ा और कम होने का इंतजार किया गया ताकि इनके परिवार वाले ज्यादा सुरक्षितपूर्वक एस एस समिथि अभया केंद्रम आकर बालाराम को वापस अपने घर लेकर जा सकें। इस बीच, बालाराम के परिवार वालों का बालाराम से फ़ोन के द्वारा संपर्क करवाया जाता रहा। मनीष कुमार ने रेल के आरक्षण से लेकर आगमन-प्रस्थान तक की पूरी जानकारी बालाराम के बेटे (संजय राजपूत) को दी ताकि वह सुरक्षितपूर्वक अपने पिता को वापस अपने घर ले जा सके।बालाराम का अपने परिवार से पुनर्मिलन में एस्पाइरिंग लाइव्स की संस्थापक, जिनका नाम फरीहा सुमन है, का भी बहुमूल्य सहयोग रहा है। न केवल बालाराम और उनका परिवार अपितु वहाँ के स्थानीय लोग भी बालाराम का अपने परिवार से पुनर्मिलन को लेकर अत्यंत ही खुश हैं। एस्पाइरिंग लाइव्स की टीम भी इस पुनर्मिलन से अत्यंत ही प्रसन्न है। आजकल के इस भाग-दौड़ के माहौल में जब पारिवारिक सौहार्द और पारिवारिक बंधन तेजी से कम होता जा रहा है, तब उस परिवेश में बालाराम के बेटे ने गरीबी और कोरोना के डर को पीछे ढ़केल पारिवारिक सौहार्द और पारिवारिक बंधन का, मध्य प्रदेश से केरल आकर और बालाराम को वापस घर ले जाकर, जो अनूठा उदाहरण इस समाज को पेश किया है, उसके लिए हम बालाराम के परिवार को सलाम करते हैं। मानसिक रूप से विक्षिप्त बालाराम का उनके परिवार के द्वारा उनके गुम होने के बाद अपनाया जाना, बहुत ही सराहनीय है। इसके लिए, इस परिवार के बारे में लोगों को जानना चाहिए। इस सकारात्मक समाचार का मीडिया के द्वारा प्रचार-प्रसार करने का मुख्य उद्देश्य बालाराम के परिवार का समाज को दिए गए सन्देश को लोगों तक पहुँचाना है। एस्पाइरिंग लाइव्स सम्बंधित पंचायत (राजपुर) के सचिव (अजय सिंह) को, बालाराम के परिवार का पता लगाने में एस्पाइरिंग लाइव्स को किए गए सहयोग के लिए, धन्यवाद ज्ञापन करता है।गौरतलब है कि ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ एनजीओ 8 मई, 2018 को पंजीकृत हुई है और बिना किसी बाह्य स्रोत की वित्तीय सहायता से इसने अभी तक 108 मानसिक रूप से असक्षम लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाया है। एस्पाइरिंग लाइव्स की पंजीकृत शाखा तिरुपत्तूर जिला, तमिलनाडु में है।