यूपी के मदरसों में घटी पढऩे वालों की संख्या

लखनऊ। यूपी के मान्यता प्राप्त व अनुदानित मदरसों में पढऩे वालों की दिलचस्पी लगातार घट रही है। पिछले चार वर्षों के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के आंकड़े तो यही बयान करते हैं। इन मदरसों की इस साल होने जा रही वार्षिक परीक्षा के लिए मंगलवार तक कुल 1.62 लाख के आसपास परीक्षार्थियों ने मदरसा शिक्षा परिषद के पोर्टल पर आनलाइन आवेदन भरे हैं। इनमें से कुल कितने परीक्षा में बैठेंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा। जहां तक पिछले चार वर्षों के इन आंकड़ों का सवाल है तो हर साल जितने परीक्षार्थी परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं उससे औसतन 50 हजार परीक्षार्थी कम ही परीक्षा में शामिल होते हैं।
मदरसों के शिक्षकों व संचालकों के संगठन आल इण्डिया मदारिसे अरबिया टीचर्स एसोसिएशन की यूपी इकाई के महासचिव वहीदुल्लाह खान कहते हैं- मदरसा शिक्षा परिषद से इन परीक्षाओं को पास करने वाले छात्र-छात्राओं को जो प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं, उनका सरकारी व प्राइवेट नौकरियों में कोई खास महत्व नहीं है। मदरसों से निकलने वाले यह छात्र सिर्फ मस्जिदों के इमाम, मौलवी ही बन पाते हैं। बच्चे मदरसे की परीक्षा देने के बजाए अब हाईस्कूल, इंटर बोर्ड की परीक्षा देने में ज्यादा रूचि ले रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि डॉ. सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का जो एक्ट-1956 में बना उसी एक्ट के अनुरूप ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती अरबी फारसी विवि के एक्ट में संशोधन कर मदरसा शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रमों को मान्यता दे दी जाए। तब जाकर मदरसों से पढ़ाई कर निकलने वाले छात्र-छात्राओं को कुछ भला हो सकता है। प्रदेश में 7 हजार 882 मदरसे हैं। इनमें से सिफ 558 अनुदानित मदरसे हैं।