शिवाजी महराज: युद्ध कौशल में नहीं था कोई सानी

डेस्क। देश के वीर सबूतों में से एक महाराज छत्रपति शिवाजी का जयंती देशभर में मनाई जा रही है। शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को एक मराठा परिवार में हुआ था। इस साल 391वीं जयंती मनाी जा रही है। उन्हांनेे अद्भुत बुद्धिबल से मुगलों का सामना किया था। वैसे छत्रपति के बचपन का नाम शिवाजी भोंसले था। बाद में साल 1674 में उन्हें औपचारिक रूप से छत्रपति या मराठा साम्राज्य के सम्राट के रूप में ताज पहनाया गया। उनके बारे में कहा जाता है कि वे सिर्फ 50 साल जिए, जिसमें से उनका सार्वजनिक जीवन सिर्फ 36 साल का है। 14 वर्ष की उम्र में लोकजीवन में कदम रखा। इन 36 सालों में उन्होंने सिर्फ 6 साल ही युद्ध लड़े होंगे। बाकी के 30 उन्होंने बेहतर शासन किया। शिवाजी में कुछ खास गुण थे, जो उन्हें आदर्श प्रशासक बनाते थे और ये गुण आज भी प्रासंगिक हैं। आज भी शिवाजी के राज्यकाल को एक आदर्श राज्य के रूप में देखा जाता है।
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनाने की शुरुआत साल 1870 में पुणे में महात्मा ज्योतिराव फुले ने की थी। ज्योतिराव फुले ने पुणे से करीब 100 ्यरू दूर रायगढ़ में शिवाजी महाराज की समाधि की खोज की थी। बाद में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने जयंती मनाने की परंपरा को आगे बढ़ाया। उनका वीरता और योगदान हमेशा लोगों को हिम्मत देता रहे, इसीलिए हर साल यह जयंती मनाई जाती है। शिवाजी जयंती पर देशभर में कार्यक्रम होते हैं। स्कूलों में भाषण प्रतियोगिताएं होती हैं। रैलियां निकाली जाती हैं। हालांकि कोरोना के कारण इस बार रैली निकालने की अनुमति नहीं दी गई। शिवाजी और उनसे जुड़ी चीजों की प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं। जगह जगह लगी शिवाजी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया जाता है।