नई दिल्ली। देश की सत्ता में जब से मोदी सरकार आई है, मानों जैसे कांग्रेस के अच्छे दिन भी चले गए। पुडुचेरी में बीते कुछ दिनों से जारी राजनीतिक संकट का पटाक्षेप हो गया और अंतत: कांग्रेस की सरकार गिर गई। मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सदन में बहुमत साबित करने में विफल रही और इस तरह कभी दक्षिण भारत में मजबूत रही कांग्रेस का आखिरी राज्य भी हाथ से चला गया। दरअसल, विधानसभा में पेश किए गए विश्वासमत प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री राजनिवास पहुंचे और उप राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा।
दरअसल, कर्नाटक के बाद दक्षिण भारत में पुडुचेरी में ही कांग्रेस की सरकार बची थी, मगर अब वहां से भी पार्टी की विदाई हो गई। कर्नाटक में भी जेडीएस के साथ किसी तरह कांग्रेस गठबंधन की सरकार में कुछ समय तक रही, मगर बाद में फिर से भाजपा ने वहां की सत्ता पर कब्जा कर लिया। उसके बाद दक्षिण भारत के राज्यों में एक पुडुचेरी ही था, जहां कांग्रेस की सरकार बची थी, मगर वहां भी विधायकों के इस्तीफे के बाद सत्ता हाथ से चली गई। इस तरह से देखा जाए तो अब कांग्रेस का दक्षिण भारत का मजबूत किला पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। एक ओर जहां 2014 के बाद से पूरे देश में भाजपा का दखल बढ़ता जा रहा है, वहीं कांग्रेस सत्ता से बेदखल होती जा रही है। अब अगर कांग्रेस शासित राज्यों की बात करें तो पांच राज्य ही ऐसे हैं, जहां कांग्रेस सरकार में है। राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस सरकार में है। इनमें से भी तीन राज्यों में राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की पूरी तरह से सरकार है, वरना महाराष्ट्र और झारखंड में तो कांग्रेस सहायक की ही भूमिका में है। कर्नाटक और मध्य प्रदेश के बाद कांग्रेस को मिला यह हैट्रिक झटका है। कर्नाटक में भी जेडीएस के साथ गठबंधन में कांग्रेस कुछ समय तक रही, मगर कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा को ऑपरेशन लोटस का मौका मिल गया और उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल कर कांग्रेस से कर्नाटक को भी छीन लिया। इसके अलावा, 15 सालों के बाद मध्य प्रदेश में भी बड़ी मुश्किल से कांग्रेस को सत्ता मिली थी, मगर वहां भी 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से सरकार चली गई।