दो-तीन मार्च तक आरक्षण की तस्वीर हो जायेगी साफ

लखनऊ। यूपी पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची के लिए अब 15 मार्च तक इंतजार नहीं करना होगा. अब 2 और 3 मार्च तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। आरक्षण पूरा करने के बाद जो सीटें बच जाएंगी उनमें से एक तिहाई सामान्य महिला के लिए आरक्षित की जाएंगी. इसके बाद जो सीटें बचेंगी वो जनरल कैटेगरी में आ जाएंगी. पंचायत में 49 फीसदी सीटें रिजर्व हैं. 1 फीसदी एसटी, 21 फीसदी एससी, 27 फीसदी ओबीसी के लिए आरक्षित हैं. बची 51 फीसदी सीटें सामान्य की हैं. सभी कैटेगरी की एक तिहाई सीटें महिलाओं को दी जाती हैं.
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के लिए सभी जिलों में आरक्षण की सूची के लिए 15 मार्च का इंतजार नहीं करना होगा. 2 और 3 मार्च को 2 दिनों के अंदर पूरे प्रदेश के आरक्षण की स्थिति सभी पदों के लिए स्पष्ट हो जाएगी. पहली लिस्ट जिला प्रशासन घोषित कर देगा. आरक्षण का इतिहास बताता है कि पहली लिस्ट और अंतिम लिस्ट में नाम मात्र का भी फर्क नहीं रहता. जनता से आरक्षण सूची पर आपत्तियां जरूर मांगी जाती हैं लेकिन अमूमन आरक्षण की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता.
आरक्षण की व्यवस्था में जो सबसे पहला नियम देखा जाएगा वह ये है कि अगर कोई पंचायत साल 1995, 2000, 2005, 2010 और 2015 में रिजर्व कैटेगरी में रही होगी तो उसके इस बार जनरल होनी की पूरी संभावना है. साथ ही अगर कोई सीट जनरल में रही होगी तो अबकी बार वो रिजर्व हो जाएगी. अब रिजर्व का मतलब ये है कि चाहे वो एससी में या फिर ओबीसी में रिजर्व रही हो. मसलन अगर पिछले चुनाव में कोई सीट स्ञ्ज के लिए रिजर्व रही होगी तो उसे इस बार इससे बाहर रखा जाएगा. इसी तरह कोई सीट अगर एससी और ओबीसी के लिए भी रिजर्व रही होगी तो इस साल उसे इस कैटेगरी से बाहर रखा जाएगा।