मोदी के मन की बात: पानी, एक तरह से पारस से भी महत्वपूर्ण

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे हैं यह साल का दूसरा मन की बात कार्यक्रम है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत माघ महीने में स्नान को पवित्र बताने से की। उन्होंने कहा कि पानी और माघ महीने का संबंध है। माघ के बाद सर्दियां खत्म हो जीत हैं। पीएम मोदी ने पानी के संकट का भी जिक्र किया। एक समय था जब गाँव में कुएं, पोखर, इनकी देखभाल, सब मिलकर करते थे, अब ऐसा ही एक प्रयास, तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में हो रहा है। यहाँ स्थानीय लोगों ने अपने कुओं को संरक्षित करने के लिये अभियान चलाया हुआ है ।ये लोग अपने इलाके में वर्षों से बंद पड़े सार्वजनिक कुओं को फिर से जीवित कर रहे है। पानी के संकट को हल करने के लिये एक बहुत ही अच्छा संदेश पश्चिम बंगाल के ‘उत्तर दीनाजपुर’ से सुजीत जी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भेजा है। सुजीत जी ने लिखा है कि प्रकृति ने जल के रूप में हमें एक सामूहिक उपहार दिया है इसलिए इसे बचाने की जिम्मेदारी भी सामूहिक है। पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है । कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है । वैसे ही पानी का स्पर्श, जीवन के लिये जरुरी है, विकास के लिये जरुरी है।