लखनऊ। यूपी विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने आज सत्र की समाप्ति पर सदन के सदस्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सभी दलीय नेताओं और सदस्यों ने सारगर्भित चर्चा में भाग लिया। कार्यवाही की गुणवत्ता की प्रशंसा करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि कार्यवाही में समयावधि ही महत्वपूर्ण नहीं होती है, बहस की गुणवत्ता और मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श की महत्ता से ही कार्यवाही का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इस सत्र की सबसे बड़ी यह विशेषता रही है कि इस बार सदन की कार्यवाही बड़ी ही शांतिपूर्ण ढंग से और सुचारू रूप से चली। पक्ष विपक्ष की ओर से बहसें हुई। व्यवधान न के बराबर रहा। पक्ष विपक्ष का सदन के संचालन में अप्रतिम योगदान रहा। उन्होंने कहा कि संसदीय जनतंत्र दुनिया की आकर्षक व्यवस्था है। जहां दुनिया में अनेकों स्थानों पर संसदीय जनतंत्र मांग के लिए आन्दोलन हो रहे है। हमारे यहां जनतंत्र लम्बे समय से चल रहा है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते यहां की जो परंपराएं हम विकसित करते है। उस पर अन्य विधान मण्डलों की निगाह रहती है। श्री दीक्षित ने कहा कि विधान सभा की कार्यवाही 18.02.2021 से प्रारम्भ हुई और दिनांक-04.03.2021 तक चली। 15 दिनों के सत्र में कुल 10 दिन सदन की बैठके हुई। जिसमें कुल 65 घण्टे 31 मिनट सदन की कार्यवाही चली। 10 दिन के उपवेशनों में अल्पसूचित प्रश्न-192, तारांकित प्रश्न-1301, अतरांकित प्रश्न-1671 प्राप्त हुए। इनमें कुछ 1311 प्रश्न उत्तरित हुए। नियम-301 की कुल 377 सूचनाएं प्राप्त हुई जिनमें से 257 स्वीकृत हुई। नियम-51 के अन्तर्गत 680 सूचनाएं प्राप्त हुई जिनमें 364 सूचनाएं स्वीकृत हुई और 316 सूचनाओं पर ध्यानाकर्षण किया गया। नियम-56 के अन्तर्गत 39 सूचनाएं प्राप्त हुई जिनमें 11 सूचनाएं ग्राह्यता हेतु सुनी गयी और 19 पर ध्यानाकर्षण हुआ, और अन्य सूचनाओं को भी आवश्यक कार्यवाही हेतु सरकार को प्रेषित किया गया। इस सत्र में 1851 याचिकाएं प्राप्त हुई जिनमें से 1587 ग्राह्य होकर सदन में प्रस्तुत की गयी।
अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल अभिभाषण पर मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष एवं दलीय नेताओं समेत 48 सदस्यों ने भाग लिया। वित्तीय वर्ष 2021-22 की बजट चर्चा में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष एवं दलीय नेताओं सहित 116 सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस बजट में कुल 18 विधेयक पारित किए गये। जिनमें पक्ष विपक्ष की तरफ से महत्वपूर्ण चर्चाएं हुई। विपक्ष द्वारा अपनी मांग उठाकर तर्क प्रस्तुत किये। संसदीय कार्य मंत्री, सुरेश कुमार खन्ना ने उठाये गयं प्रश्नों पर समाधान परक उत्तर दिये। कानून व्यवस्था के प्रश्न पर भी विधान सभा में कई बार महत्वपूर्ण वाद-विवाद हुआ। बेशक, विपक्ष के अपने आंकड़े और तथ्य रहे हैं ओर सरकार के अपने, लेकिन वाद-विवाद में सभा की रूचि और गम्भीरता आकर्षण का विषय बनी रही। सभा में किसानों की समस्यायें भी पूरी गम्भीरता के साथ उठायी गयी। छुट्टे जानवरों की समस्या, गन्ना किसानों की समस्या को दूर करने की दृष्टि से विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही गम्भीर दिखायी पड़े। विद्युत, कृषि, प्रशासन, जल आपूर्ति सहित अविलम्बनीय महत्व के तमाम प्रश्नों पर विधान सभा में गम्भीर वाद-विवाद हुआ।