दिनेश शर्मा,गाजियाबाद। गाजियाबाद पुलिस प्रशासन से लॉ एंड ऑर्डर संभाला नहीं जा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण सामने आया है। गाजियाबाद के दिल्ली गेट व सरकारी अस्पताल के बीच नाबालिग वाहन चालक मोबाइल पर बात करते हुए ई-रिक्शा चलाता पाया गया। उसके ई-रिक्शा पर आगे वाहन नंबर यूपी 14 एचटी 672 तथा वाहन के पीछे यूपी 14 एचटी 967 लिखा हुआ था। जिसकी वीडियो कवरेज सबूत हेतु सुरक्षित कर ली गई। इसके संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री,डीजीपी से लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासन को व जिलाधिकारी तथा शासन के उच्च अधिकारियों तक सूचना संचार माध्यम के द्वारा दी गई। पुलिस प्रशासन द्वारा अगले दिन शहर में अभियान चलाकर लगभग एक लाख राजस्व की वसूली की गई तथा कुछ नाबालिगो को वाहन चलाते हुए मौके पर पकड़ा गया व कुछ वाहनों को सीज किया गया लेकिन उस दो नंबर वाले वाहन व वाहन चालक के खिलाफ क्या कार्यवाही हुई। आज तक अंधेरे के गर्त में ही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अनगिनत बार पुलिस से संचार माध्यम के द्वारा कृत कार्रवाई के बारे में पूछा जाता है लेकिन पुलिस प्रशासन जानकर भी अनजान बना रहता है तथा जवाब देने से बचा जाता है। उस दो नंबर वाले वाहन का सस्पेंस बरकरार है। देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक पुलिस प्रशासन द्वारा इतनी बड़ी चूक बहुत बड़े मायने व अपराधियों तथा आतंकवादियों के हौसले ही बुलंद करती है। इतने भारी पुलिस अमले पर सरकार भारी राजस्व खर्च करती है फिर भी पुलिस अपने कर्तव्य से उदासीन व लापरवाह है। पुलिस प्रशासन कब अपनी जिम्मेदारी समझेगा। सडक़ों पर व चौराहों पर पुलिस की निगाह अन्य जिलों व अन्य राज्यों से आए कॉमर्शियल वाहनों पर लगी रहती है।