डेस्क। देवाधिदेव भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि पर्व इस बार महासंयोग लेकर आ रहा है। यह संयोग भक्तों के लिए विशेष फलदायी होने जा रहा है। इस दिन दोपहर 2:39 बजे त्रयोदशी और चतुर्दशी का मेल होगा और यही समय शिवरात्रि का श्रेष्ठ पुण्यकाल होगा। त्रयोदशी की उदया तिथि में शिवयोग तो प्रदोष व रात्रि में सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग होगा। महाशिवरात्रि को कालरात्रि भी कहा गया है। सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि में भगवान शिव का ब्रह्मा से रुद्र रूप में अवतरण हुआ। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं, इसीलिए इसे कालरात्रि कहा गया। महाशिवरात्रि को वर्षभर में पडऩे वाली सिद्ध रात्रियों में से एक माना गया है। इस दिन ब्रह्मांड में दिव्य ऊर्जाएं चरम पर होती हैं। इसलिए शिवरात्रि को की गई पूजा-अर्चना, जप दान आदि का फल कई गुना होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार 27 योग में से प्रतिदिन एक योग उपस्थित होता है। इन 27 योग में एक शिव योग भी है जिसे परमकल्याणकारी और भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस बार महाशिवरात्रि के दिन शिव योग है जो दुर्लभ शुभ संयोग है। जलाभिषेक के अलावा शिव उपासना में बेलपत्र का विशेष महत्व है। तीन दलों से युक्त एक बिल्वपत्र जो भगवान शिव को अर्पित करते हैं तो यह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करता है। दूध, चमेली, बेला और श्वेतार्क के पुष्प तथा श्वेत चंदन भगवान शिव को अर्पित करें। स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। मानसिक एकाग्रता के लिए दूध से एवं सर्वसिद्धि के लिए गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें।