होली में भी लगेगा चॉयनीज प्रोडक्ट को झटका

बिजनेस डेस्क। रंगों के त्योहार होली में भी चीन को जबरदस्त झटका लगने वाला है। इसके लिए कारोबारियों ने तैयारी पूरी कर ली है और होली में भी चीनी पिचकारियों से तौबा कर ली है। व्यापारियों का कहना है कि इस बार होली में बाजारों में दिल्ली व कोलकाता में बनने वाली पिचकारियां ही उपलब्ध रहेंगी। अगर कारोबारी झटके की बात की जाए तो चीन को होली में छत्तीसगढ़ से ही करीब 50 करोड़ रुपये का झटका लगेगा।
होली का त्योहार आने में अभी पखवाड़े भर से अधिक का समय है, लेकिन अब रंग-गुलाल के साथ पिचकारियों का बाजार सजने लगा है। होलसेल कारोबारियों का कहना है कि बीते साल की तरह इस साल भी उन्होंने चीनी उत्पादों से तौबा कर ली है और होली में केवल भारतीय कंपनियों द्वारा बनाई जाने वाली पिचकारियां, टोपी, मुखौटे ही संस्थानों में उपलब्ध हैं। ये पिचकारियां, टोपी, मुखौटे, बाल आदि सभी दिल्ली व कोलकाता से आ रहे हैं। बीते साल त्योहारी सीजन में चीन को देश भर में करीब 25 हजार करोड़ से अधिक का झटका लगा था। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी का कहना है कि इस साल भी चीन को पटकनी देनी है और इसकी शुरुआत बीते साल दीपावली से ही हो गई है। यह पूरा साल चीन को कारोबार में झटका ही लगेगा। कारोबारी नवीन जैन ने बताया कि इस साल होली में उपभोक्ताओं को चाइनीज पिचकारियां नहीं मिलेंगी। कारोबारियों ने उन्हें मंगाना ही बंद कर दिया है। साथ ही उपभोक्ता भी अब भारतीय उत्पाद ही खरीदने में रुचि रखने लगे हैं।
होलसेल में पिचकारियां 20 रुपये से लेकर 200 रुपये में उपलब्ध हैं। स्प्रे वाली पिचकारियां 125 रुपये में उपलब्ध हैं। वहीं होली में आने वाले बाजे, ढोल होलसेल में पांच रुपये से लेकर 40 रुपये तक उपलब्ध हैं। साथ ही सिल्की, हर्बल गुलाल आने भी शुरू हो गए हैं।
बीते सालों में होली के अवसर पर बाजारों में चीनी पिचकारियों का दबदबा रहता था। कारोबारियों के अनुसार उस दौरान भी भारतीय पिचकारियां आती थी। लेकिन अगर चीनी व भारतीय पिचकारियों के कारोबार की बात की जाए तो होली में चीनी कारोबार 85 फीसद तक रहता था। चीनी पिचकारियां, टोपिया, मुखौटे आदि की धूम रहती थी। अकेले छत्तीसगढ़ में इनका करीब 50 करोड़ रुपये का कारोबार होता था।