फीचर डेस्क। साल 2021 में 13 मार्च को शनिश्चरी अमावस्या मनाई जाएगी। देश के कई इलाकों में इसे ‘दर्श अमावस्या’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह अमावस्या शनिवार को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या के दिन पूरी रात चांद दिखाई नहीं देता है और इस विशेष दिन सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना की जाती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या पर पूर्वजों की भी पूजा जानी चाहिए। पूर्वजों की आराधना के लिए ये दिन बेहद खास होता है।
शनिश्चरी अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ- 12 मार्च, शुक्रवार, दोपहर 3.02 मिनट से
अमावस्या समाप्त- 13 मार्च, शनिवार, दोपहर 3.50 मिनट तक
शनिश्चरी अमावस्या का धार्मिक महत्व
शनिश्चरी अमावस्या या दर्श अमावस्या के दिन व्रत किया जाता है और चंद्रमा की पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से जातकों पर चंद्र देवता की कृपा बरसाती है। इसके अलावा सौभाग्य व समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है। हिंदू धर्म शास्त्रओं में बताया गया है कि चंद्रदेव भावनाओं और दिव्य अनुग्रह के स्वामी हैं। शनिश्चरी अमावस्या को श्राद्ध की अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं। इस दिन पूर्वज धरती पर आकर अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं।