जनता कफ्र्यू का एक साल : देश में दिस डे दैट ईयर वाला हाल

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग की आधिकारिक शुरुआत आज ही के दिन जनता कफ्र्यू से हुई थी। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच 22 मार्च 2020 को पीएम मोदी ने जनता कफ्र्यू का ऐलान किया था और लोगों को अपने घरों में ‘कैद’ हो जाने को कहा था। लॉकडाउन का ट्रायल कहे जाने वाले इसी जनता कफ्र्यू ने देश को एक झलक दे दी थी कि भारतवासियों को कोरोना से बचाने के लिए कुछ दिन तक घरों में सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके बाद पूरा देश महीनों तक लॉकडाउन में रहा और वैक्सीन का इंतजार करता रहा। आज भारत के पास दो-दो वैक्सीन हैं और टीकाकरण की रफ्तार भी काफी तेज है, मगर चिंता की बात है कि फिर भी कोरोना का मर्ज बढ़ता ही जा रहा है। ऐसी उम्मीद थी कि वैक्सीन आने के बाद भारत से कोरोना छूमंतर हो जाएगा, मगर ऐसा होता दिख नहीं रहा है। दरअसल, कोरोना के मामले साल 2021 भी 2020 की तरह ही आगे बढ़ता दिख रहा है। महाराष्ट्र से लेकर पंजाब और कर्नाटक में कोरोना वायरस की दूसरी लहर देखने को मिल रही है। सभी परेशान हैं कि आखिर कोरोना वायरस की वैक्सीन आने के बाद भी इसके मामलों में लगातार वृद्धि क्यों हो रही है? क्यों फिर से कोरोना पुराने रंग में दिख रहा है और दिन-प्रतिदिन ताकतवर हो रहा है? लेकिन यहां इस सवाल का जवाब भी हर किसी को मालूम है। कोरोना वायरस के मामलों में अचानक वृद्धि का प्रमुख कारण है लोगों की लापरवाही। वैक्सीन आने के बाद लोग कोरोना के खिलाफ जंग में ढीले पड़ गए हैं, लोगों को यह गलतफहमी हो गई कि वैक्सीन आ गई है तो अब कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। सरकार ने भी माना है कि लोगों की लापरवाही ने कोरोना को ताकतवर होने का मौका दिया है। इसके अलावा, कोरोना वायरस के दोबारा सिर उठाने के पीछे कई कारण हैं। एक तो लोग अब कोरोना गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं कर पा रहे हैं। वैक्सीन आने से पहले जिस तरह से लोग मास्क का इस्तेमाल किया करते थे, हैंड सैनिटाइज किया करते और सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन रखा करते थे, अब वैसी गंभीरता नहीं दिख रही है। वैक्सीन आने के बाद लोगों ने कोरोना को फॉर ग्रांटेड ले लिया है। जिसकी वजह से लोग फिर से पहले की तरह संक्रमित होने लगे हैं।