लखनऊ। पंचायत चुनाव में हाईकोर्ट के निर्देश पर नई आरक्षण सूची ने समीकरण बदल दिए। दावेदारों ने भी बदले समीकरणों पर नया गणित लगा दिया। होली से पहले वाट्सऐप पर अपनी फोटो लगाकर प्रचार शुरू करने वाले दावेदार अब किसी अपने को लड़ा रहे हैं। सीट एससी या ओबीसी होने के बाद किसी को संबंधित वर्ग के जान पहचान वाले में पुराना दोस्त दिखने लगा तो किसी को अपना कर्मचारी ही देवता नजर आने लगा। रहीमाबाद के जिन्दौर, कैथुलिया, ससपन और भतोइया इस बार आरक्षित हो गई हैं। इन सीटों पर पहले कई दावेदार ऐसे थे जो खुद लडऩा चाह रहे थे। सीट आरक्षित होने के बाद नया जोगाड़ लगा दिया। एक प्रत्याशी को गांव के ही साथ पढ़े पूर्व मित्र पर स्नेह फिर से जाग गया है। वजह यह है कि वह मित्र आरक्षण की सूची में फिट बैठ रहा है। एक पूर्व प्रधान ने खेत में काम करने वाले मजदूर के लिए आनन फानन दो कमरे बनवा दिए हैं। दिन रात उसके साथ बैठ रहे हैं क्योंकि अपनी जगह अब उनको चुनाव जो लड़ाना है। रसूख वाले एक पूर्व प्रधान ने भी खेत में काम करने वाले एक सहयोगी को चुनाव लडऩे के लिए तैयार कर लिया है। निगोहां के उतरावां में एक दावेदार ने एक जान पहचाने वाले को उतारा है। पोस्टर में उसके साथ हाथ जोड़े हुए अपनी तस्वीर लगा दी है। मोहनलालगंज में खुजौली, दहियर और कनकहा भी आरक्षित हो गई हैं।