घर में हरियाली: मन में हरियाली

प्रीति वर्मा। हमारी जीवनशैली पर्यावरण को बहुत प्रभावित कर रही है। एक होड़ लगी है एक दूसरे से आगे निकल जाने की और आगे निकल जाने का मतलब है गाड़ी, बंगला (घर) और घर में मानव द्वारा निर्मित सारे संसाधन हैं जैसे कूलर, ए.सी, इंडक्शन कुकर, गीजर इत्यादि। घर में गेट तक धूल न होना, मतलब जरा सी भी मिट्टी के कड़ का न होना, सफाई मानी जाती है और खाने में हमें हरी सब्जियां और शुद्ध हवा चाहिए होता है।
देखा जाए तो प्रकृति हमें सभी चीजें प्रदान करती है, शुद्ध जल, शुद्ध हवा, हरी सब्जियां लेकिन फिर भी हम प्रकृति को अनदेखा करके बिजली से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं । क्या सूर्य की किरणों से हम पानी गर्म नहीं कर सकते ? क्या शुद्ध हवा पाने के लिए हम अपने घरों की बाउंड्री के आसपास हरे पेड़ पौधे नहीं लगा सकते ? क्या ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कॉलोनी के सडक़ के दोनों तरफ हम खुद से पेड़ नहीं लगा सकते ? हम छत पर हरी सब्जियां जैसे कि लहसुन, धनिया, पुदीना, मिर्चा, टमाटर नहीं लगा सकते ? जिससे कि पर्यावरण में हरियाली हो और हमारी रोज की आवश्यकता की पूर्ति हो जाए । लतर वाले पौधे जो छाव में रहते हैं क्या हम वह घर के चारों तरफ नहीं लगा सकते ? सोचिए जरा ! जिस घर में आप रहते हैं अगर उस घर के चारों तरफ हरियाली हो तो आपका मन और तन दोनों कितना शुद्ध रहेगा । बिजली बनाने के लिए भी ईंधन की आवश्यकता होती है और हम अनावश्यक बिजली से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करके ईंधन को भी समाप्त कर रहे जो प्रकृति में दोबारा नहीं आ सकती । हम हर सुधार सरकार से ही चाहते हैं, हम नागरिक ! प्रकृति के लिए क्या कर रहे हैं एक नागरिक होने के नाते हमारा भी कर्तव्य है कि प्रकृति के धरोहर को बचाए रखना और ज्यादा से ज्यादा अपने आसपास पेड़ पौधे लगाकर हरियाली बनाए रखना । हम बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि हम प्रकृति से दूर हो रहे हैं । हम भूल रहे हैं कि अंत में शरीर को भी पंचतत्व में विलीन हो जाना है और हमारा शरीर भी इन्हीं तत्वों पृथवी, आकाश, जल, वायु और अग्नि से बना है। प्रकृति ही हमारा जीवन जीने का आधार है । प्रकृति सिर्फ हमें खाने को ही नहीं देती बल्कि यह हमारी रोज की दिनचर्या के तनाव से भी हमें दूर रखती है । प्रकृति प्रेमी बनिए , ऐसा प्रेम आप को संरक्षण प्रदान करेगा और रोगों से मुक्त रखेगा ।