केरल में एलडीएफ का चला जादू: राहुल हुए फेल

डेस्क। केरल के शुरुआती रुझान लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की वापसी के संकेत दे रहे हैं। अगर यही रुझान चुनावी परिणाम में तब्दील हुए तो 40 साल बाद राज्य में कोई पार्टी लगातार दूसरा चुनाव जीतेगी। अबतक के आए रुझान में एलडीएफ गठबंधन 90 सीट पर बढ़त बनाए हुए है, वहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ फ्रंट इस समय 47 सीटों पर आगे चल रही है। बीजेपी और उसके सहयोगी दल 3 सीट पर आगे हैं। मेट्रो मैन ई श्रीधरन अपनी सीट पर लीड कर रहे हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को महज एक सीट ही मिली थी। हर पांच साल में सत्ता बदलने का ट्रेंड इस बार नहीं दिखाई दे रहा। चुनावी एक्सपर्ट के अनुसार अगर एलडीएफ की जीत हुई तो यह मुख्यमंत्री पिनाराई वियजन की जीत होगी। वहीं अब विपक्षी दल खासकर कांग्रेस को मंथन करने की जरूरत है। लेफ्ट गठबंधन ने इस बार चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव किया था। कई सीनियर नेता जैसे वित्तमंत्री थॉमस, कानून मंत्री एक के बालन, पीडब्ल्यूडी जी सुधाकरन का टिकट काट दिया था। इस बदली हुई रणनीति का फायदा भी एलडीएफ को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। कोरोना महामारी से जिस तरह से केरल ने लड़ाई लड़ी है उसका भी फायदा पिनाराई वियजन सरकार को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बार चुनावी समर में कई नए उम्मीदवारों को मौका दिया था लेकिन पार्टी की यह रणनीति सफल होते हुए नहीं दिखाई दे रही है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की चुनावी रैलियां भी बेअसर साबित हुई हैं। राहुल गांधी के वायनाड से सांसद चुने जानें के बाद कांग्रेस को इस चुनाव से काफी उम्मीदें थी।