लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने इस बात पर हैरत जतायी कि योगी सरकार जहरीली शराब से मौतें तो रोक नहीं पायी, उसने शराब बिक्री खोल कर प्रदेश में मौतों को दावत दे दी है। भाकपा ने जहरीली शराब से लगातार और बड़े पैमाने पर मौतों की जिम्मेदारी लेने और कोविडकाल में शराब बिक्री पर रोक लगाने की मांग राज्य सरकार से की है।
एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि एक ओर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के चरमराने से कोरोना से बड़े पैमाने पर लोगों की जानें जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर जहरीली शराब से थोक में मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा। इस बार नया फिनोमिना यह है कि अधिकतर मौतें सरकार द्वारा आबंटित ठेकों से खरीदी शराब से होरही है। अभी एटा, कासगंज, हाथरस में हुयी मौतों की चिताएं ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अब आज़मगढ़ और अम्बेडकर नगर में जानलेवा शराब से दर्जन भर से अधिक की मौतें होगयीं। हर बार सरकार कुछ छोटे अधिकारियों/ कर्मचारियों पर कथित कार्यवाही कर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलती है। कुम्भ और पंचायत चुनावों से रक्तबीज की तरह फैला कोरोना अभी काबू से बाहर है कि सरकार ने राज्य में शराब की दुकानें खुलवा दीं। इससे दुकानों पर लम्बी कतारें लग गई और कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां बिखर गयीं। प्रदेश के राजस्व के लिए सरकार लोगों की जान से खिलवाड़ तो कर ही रही है, लॉक डाउन से लुटे पिटे लोगों के घर का बजट भी बिगाड़ रही है। मजे की बात है कि जब भाजपा विपक्ष में हुआ करती थी तो शराबबंदी के लिए गला फाड़ फाड़ कर चीखती थी। आज जब वह सत्ता में है तो कोविड प्रसार की परवाह न कर धड़ल्ले से वैध- अवैध शराब को बिकवा रही है। सरकार को लोगों के जीवन की खिलवाड़ से बाज आना चाहिये और शराब से मौतों और संक्रमण से प्रदेश की जनता की रक्षा करनी चाहिये।
जहरीली शराब से मौतों और शराब बिक्री खोलने की भाकपा ने निन्दा की
