ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में बाल रोग विशेषज्ञ ही नहीं

गाजियाबाद। कोरोना की दूसरी लहर में अचानक मरीजों की संख्या में आई बाढ़ तथा संक्रमण में प्रतिदिन होने वाला बेतहाशा इजाफे ने सरकार की चिंता एवं सतर्कता दोनों ही बढ़ा दी है। तीसरी लहर के मद्देनजर सरकार अभी से चौकन्नी है तथा आने वाले कोरोना की तीसरी लहर को काबू में करने के लिए तैयारियों में जुटी है। परंतु शासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को पूरा करने को लेकर है। इस समय कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए बच्चों को इस से बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है जिसके लिए जनपद में 75 हजार बच्चों की चिकित्सा के लिए केवल एक बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध है। यदि निजी अस्पतालों में उपलब्ध बाल रोग विशेषज्ञों किस संख्या भी मिला ली जाए तो प्रत्येक 10000 बच्चे पर केवल एक बाल रोग चिकित्सक उपलब्ध है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि चरमराती हुई स्वास्थ्य व्यवस्था पर मरीजों तथा डॉक्टरों का यह अंतर कोई दूसरा विकल्प ना होने पर भारी पड़ सकता है । यदि जिला अस्पताल तथा जिला महिला अस्पताल की बात छोड़ दी जाए तो किसी भी अन्य स्वास्थ्य केंद्र पर कोई भी बाल रोग विशेषज्ञ वर्तमान में उपलब्ध नहीं है । एक आकलन के अनुसार जनपद में वर्तमान में 0 से लेकर 5 साल तक के 751008 बच्चे उपलब्ध है जबकि एक महिला एवं जिला एवं निजी अस्पताल में कुल मिलाकर बाल रोग विशेषज्ञों की संख्या मात्र 10 है । एमएमजी अस्पताल में औसतन रोजाना 200 से ढाई सौ बच्चे उपचार के लिए आते हैं जबकि महिला अस्पताल में एसएनसीयू में रोजाना 10 से 12 बच्चे भर्ती रहते हैं । ऐसे में बाल रोग विशेषज्ञ की निहायत कम संख्या से जूझते हुए इस महानगर में आने वाले समय में कोरोना की तीसरी लहर से निपटना वास्तव में चुनौतीपूर्ण होगा।