जीडीए में निर्दोष कर्मियों की लगातार हो रही मौतों का जिम्मेदार कौन

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में यूं तो राज भाजपा सरकार चला रही है लेकिन असल मायने में राज इस सरकार में नौकरशाहों का ही है जितना शासनादेशों की अवहेलना वर्तमान समय में हो रही है इतनी पिछली सरकारों में दृष्टिगत नहीं होती थी। अब तो लगता है शासनादेशों का कोई अनुपालन में महत्व ही नहीं रह गया है। अधिकारीगण अपने माफिक शासनादेशों की ही परवाह करते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का ही है। यहां शासनादेश दिनांक 09-04-2021, 21-04-2021,28-04-2021, 07-05-2021 के अनुपालन में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए कार्यालय आदेश दिनांक 17 मार्च 2021 के द्वारा आदेशित किया गया कि उत्तर प्रदेश शासन के आदेशानुसार गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के समस्त अनुभागों में समूह ग व घ के कर्मचारियों की उपस्थिति रोस्टर के आधार पर सुनिश्चित कर अनुपालन किया जाए लेकिन लॉकडाउन संभवत समाप्ति की ओर है लेकिन समाचार माध्यमों में खबर छपने के बाद जीडीए उच्च अधिकारियों की नींद टूटी तथा रोस्टर प्रणाली हेतु औपचारिकता पूर्ण की गई। उसका अनुपालन शतप्रतिशत हो इसकी ना तो उच्च अधिकारियों को ही फुर्सत है और ना ही अनुभागीय प्रभारी अधिकारियों व कर्मचारियों को ही है और जिन प्रभारी अनुभागीय अधिकारियों को आदेशों का अनुपालन करना था वह तो जैसे जान कर भी अंजान बने हो। इन अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण प्राधिकरण में लगभग 2 कर्मियों की हर सप्ताह मौत हो रही है। अनिल कुमार त्यागी, आदेश कुमार त्यागी, राजीव अग्रवाल, एमपी सिंह, नरेंद्र कुमार, ओम प्रकाश, राजकुमार झा आदि कर्मी कोरोना से दहशत से डिप्रेशन व हार्टअटैक तथा संक्रमित होकर जान गंवा रहे हैं लेकिन संपत्ति अनुभाग के प्रभारी अधिकारी सीपी त्रिपाठी, मनोज सागर, अनिल कुमार सिंह, रणवीर सिंह तो जैसे ठान बैठे हो चाहे कितने कर्मियों की भेंट चढ़ जाए लेकिन इन्हें रोस्टर नहीं लागू करना है। अब देखना यह है कि इन हठधर्मी अधिकारियों की जवाबदेही तय हो तथा कर्मचारियों की उपस्थिति रोस्टर प्रणाली से लागू हो तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो जिससे कर्मियों की जान की भेंट चढऩी बंद हो। प्राधिकरण में दो बार कैंप वैक्सीनेशन हेतु अपने कर्मचारियों के लिए लगाया गया लेकिन अभी तक भी सभी कर्मचारियों को वैक्सीन नहीं लगवाई गई है जबकि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने लगातार पांच दिन कैंप लगाकर अपने सभी कर्मचारियों को वैक्सीनेशन सुनिश्चित कराने के लिए व्यवस्था की गई है। जीडीए के अधिकतर कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पूर्व में सूचित ही नहीं किया गया जिस कारण वह वैक्सीनेशन कैंप में जानकारी के अभाव में उपस्थित ही नहीं हो पाए।