पटना। बिहार और केंद्रीय राजनीति में दशकों तक छाये रहे रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही उनकी पार्टी में उथल-पुथल मची हुई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को कम से कम तीसरी बार बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। खुद को छोडक़र बाकी सभी पांच सांसदों की बगावत के ऐलान के साथ ही चिराग राजनीतिक मझधार में पूरी तरह अकेले पड़ गए हैं।
चिराग के पिता और लोक जनशक्ति पार्टी के सर्वेसर्वा रामविलास पासवान का निधन ऐन बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान ही हो गया था। चुनाव में चिराग पासवान की एनडीए से बात नहीं बनी। उन्होंने जेडीयू-भाजपा से अलग होकर चुनाव लडऩे का फैसला किया लेकिन कदम दर कदम ये फैसला उन पर भारी पड़ता चला गया। चिराग पासवान को सबसे पहला झटका बिहार चुनाव के नतीजों से लगा। चुनाव में चिराग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे हमले किए। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को संदेश दिया कि उन्हें भले नुकसान उठाना पड़े लेकिन नीतीश कुमार को हराना है। राजनीति में जहां अपने फायदे को सर्वोपरि माना जाता है। वहां दूसरे के नुकसान के लिए अपना नुकसान कर लेने का सिद्धांत चुनाव के दौरान भी पार्टी नेताओं के गले नहीं उतर रहा था। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही लोक जनशक्ति पार्टी में बगावत की पटकथा लिखी जाने लगी थी। उस वक्त भी कमान चिराग के चाचा पशुपति पारस पासवान के हाथों में ही थी। हालांकि बाद में उन्होंने अपने लेटर हेड पर इसका खंडन कर अटकलों पर विराम लगा दिया था।
पासवान के चिराग को बड़ा झटका: चाचा की बगावत
