कानुपर। बिकरू में पुलिस टीम पर हुए हमले में शहीद मथुरा के रिफाइनरी के गांव बरारी निवासी जितेंद्र पाल के घरवालों को उनके नाम पर पार्क, प्रतिमा स्थापना का अब भी इंतजार है। परिवार जवान बेटे की मौत के गम को भुला नहीं सका है। शहादत पर किए गए वायदों के पूरा नहीं होने से नाराज है।
बरारी निवासी तीरथपाल का पुत्र जितेंद्र पाल यूपी पुलिस में आरक्षी थे और कानपुर में तैनात थे। बिकरू के जघन्य कांड में शहीद जितेंद्र पाल के पिता तीरथ पाल सिंह ने बताया कि बेटे के शहीद होने के बाद परिवार से वायदे किये गए थे। इस वक्त वह सब झूठ का पुलिंदा बने हुए हैं। सरकार ने वायदा किया था कि गांव में पार्क बनाकर शहीद बेटे की प्रतिमा स्थापित होगी। वह प्रतिमा बनकर एक साल से घर पर ही रखी है पर प्रशासन उसे स्थापित नहीं करा पा रहा है। गांव में एक शहीद स्मारक, शहीद पार्क, गांव के प्रमुख मार्ग पर एक भव्य गेट भी बनाया जाना था। वह भी नहीं बनाया गया है।
बिकरू कांड में शहीद हुए क्षेत्र के बनपुरवा गांव निवासी एसओ महेश कुमार यादव के घर तक आरसीसी रोड तो शहादत के कुछ दिन बाद ही बना दी गई पर स्मारक और शहीद द्वार का आश्वासन आज भी अधूरा है। घरवाले स्मारक बनने की बांट जोह रहे हैं। थानाक्षेत्र के बनपुरवा गांव निवासी महेश कुमार कानपुर देहात के शिवराजपुर थाने में एसओ थे। आज के ही दिन कुख्यात विकास दुबे के गैंग के सदस्यों के हमले में बिकरू गांव में शहीद हो गए थे। अंतिम संस्कार में बनपुरवा गांव में प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं की भीड़ श्रद्धा सुमन अर्पित करने को उमड़ी थी। तब शहीद की पत्नी सुमनदेवी ने गांव में शहीद द्वार, शहीद स्मारक और घर तक आरसीसी रोड की मांग की थी। उन्होंने तीन साल के बेटे की पढ़ाई की चिंता भी अधिकारियों और नेताओं के सामने जताई थी। पिता देव नारायण यादव ने बताया कि उस वक्त अधिकारियों ने स्मारक और शहीद द्वार बनाने का आश्वासन दिया। शहादत के बाद विभाग और सरकार द्वारा घोषित सम्मान राशि भी घरवालों को दे दी गई। क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह की निधि से शहीद के घर तक 600 मीटर लंबी आरसीसी रोड भी बन गई लेकिन एक साल बाद भी शहीद स्मारक और शहीद द्वार का आश्वासन अधूरा है। शहीद महेश कुमार का बेटा विवेक कुमार बीए प्रथम वर्ष का छात्र है। विभागीय उच्चाधिकारियों ने आश्वस्त कर रखा है कि स्नातक होने पर उपनिरीक्षक के पद पर नौकरी दे दी जायगी। छोटा बेटा अभी चार साल का है।
बिकरू कांड में शहीद हुए सिपाही बबलू का परिवार फतेहाबाद थाना क्षेत्र के गांव पोखर पांडेय में रहता है। बबलू की याद में परिजन आज भी रोते हैं। सनसनीखेज घटना को एक साल बीत गया। परिजनों के जख्म आज भी ताजा हैं। वे एक ही बात बोलते हैं कि पुलिस अपराधियों को पनपने ही न दे। ताकि ऐसी वारदात दोबारा न हो। बबलू को बचपन में उनके ताऊ छोटेलाल ने गोद लिया था। पिता का नाम महावीर सिंह है। पिता का कहना है कि जवान बेटे की अर्थी को कंधा दिया था। दुनिया में इससे बड़ा दुख कोई और नहीं हो सकता है, जिस बेटे के सिर पर सेहरा देखने का सपने संजोए थे, वह शहीद हो गया। बेटे की याद में बस उनके प्राण नहीं निकले। उन्होंने बताया कि सरकार ने जमीन दी पैसा दिया, मगर इन सब से बेटे की कमी पूरी नहीं की जा सकती है। उनका कहना है कि जब घटना हुई तो बड़े-बड़े अधिकारी गांव में आए थे। वादा कर गए थे कि गांव की सडक़ बन जाएगी। अंतिम संस्कार के बाद किसी ने गांव की तरफ पलटकर भी नहीं देखा। गांव में आज तक सडक़ नहीं बनी। बेटे की प्रतिमा नहीं लगी। उन्होंने कुछ जमीन खरीदी थी। उस पर भी दबंगों ने कब्जा किया है। दो बार लखनऊ तक चक्कर लगा कर आए हैं। बबलू की जगह मृतक आश्रित कोटे में उनके छोटे बेटे उमेश को नौकरी मिल गई है। फिलहाल छोटे बेटे की तैनाती कानपुर पुलिस लाइन में है।
बिकरू कांड में हुए शहीदों के परिजनों को सरकार से आस
