लाइफ टाइम एक्सपीरियंस के लिए है लाहौल स्पीति

अमृतांशु मिश्र। हिमाचल के जिला लाहौल स्पीति में स्थित स्पीति घाटी झीलें, बर्फ से ढके पहाड़, मोनेस्ट्री वाकई में ये शहर किसी स्वर्ग से कम नहीं। साल में कुछ ही महीने यह सैर सपाटे के लिए खुले रहने वाले यह शहर आज सैलानियों की हिट लिस्ट में हमेशा रहता है। अगर आप हैं उन लोगों से जिन्हें शांत वातावरण की तलाश रहती है और साथ में एडवेंचर स्पोर्ट को भी है शौक तो यहां का एक ट्रिप आपको दे सकता है लाइफ टाइम एक्सपीरियंस। वैसे तो यह गांव किन्नौर जिले में आता है लेकिन अगर आप स्पीति किन्नौर होते जा रहे हैं तो यहां एक वॉक लेना मिस मत करिएगा। नाको नाम की एक सुंदर झील गांव की साफ हवा आपको रिफ्रेश कर देंगे। मिट्टी और पत्थर से बने घर और लोगों के कल्चर को पास से देखने का यह एक ऐसा एक्सपीरिएंस होगा जो आप शायद ही कभी भूलें।
हॉरर फिल्में तो आपने खूब देखी होगी और मिस्टीरियस बातें तो युवाओं को अक्सर अपनी तरफ खींचती हैं। अगर आप को भी इस तरह की रहस्यमय बातों में रुचि है तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं। भारत तिब्बत सीमा पर लाहौल स्पीति के गयू गांव में करीब 500-500 वर्ष पुरानी ‘ममी’ देश- विदेश के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। आपको यह हैरानी इस बात की है कि ममी के नाखून और बाल अभी भी बढ़ रहे हैं। यहां के लोग इसकी पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं। यह ममी है लामा सांगला तेनजिंग की जिन्होंने साधना में लीन होते वक्त अपने प्राण त्याग दिए थे। आपको बता दूं कि स्पीति कोई नगर नहीं है, यह एक घाटी है, जहां घर बहुत ही कम हैं। अभी भी इतने बड़े भूभाग पर निवास करने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 35 हजार के आसपास है। ज्यादातर पर्यटक ट्रैकिंग के लिए निकलते हैं और खुले आसमान के नीचे कैंप में रहते हैं। यह जगह अपनी ऊंची पर्वतमाला के कारण अभी भी शेष दुनिया से कटी हुई है। यहां पर स्थित रोहतांग दर्रा 3,978 मीटर की ऊंचाई पर इसको कुल्लू घाटी से अलग करता है। कुंजुम दर्रा भी यहीं पर स्थित है यह लाहौल और स्पीति को एक दूसरे से अलग करता है।
यह जगह दुनियाभर में अपने दुर्गम रास्तों और बदलते मौसम के कारण जानी जाती है। ज्यादा ऊंचाई के कारण सर्दियों में यहां बहुत ठंड होती है। गर्मियों में मौसम बहुत सुहावना होता है। शीतकाल में ठंड के कारण यहां बिजली और यातायात की बेहद कमी हो जाती है जिस कारण यहां पर्यटन में भारी कमी हो जाती है।