मेरी हिमाचल यात्रा-भाग 4

अमृतांशु मिश्र। लोसर में सुबह उठे तो मौसम काफी सुहावना हो गया था। आसमान एकदम नीला था। अगल-बगल के पहाड़ों पर पड़ी बर्फ धूप में चमक रही थी। यहां धूप काफी तेज होती है। इसके लिए आपको धूप का चश्मा लगाना जरूरी है। तेज हवाएं बदन में सिहरन पैदा कर रही थीं। खैर हमलोग थोड़ा बहुत खा-पीकर होटल के मैनेजरआनंद से आगे के रास्ते के बारे में जानकारी ली। आनंद ने बताया कि आप लोगों को दोपहर के पहले तक कुंजुम पास पार करना पड़ेगा नहीं तो पहाड़ों से गिरने वाले नालों का बहाव तेज हो जायेगा जिससे छोटी गाडिय़ों को निकलने में दिक्कत होती है। हम अपनी आई 20 में सवार हो गये। और स्पीति घाटी का सौंदर्य देखते हुए बातल पहुंच गये। लोसर से बातल की दूरी करीब 20 किमी है। मगर रास्ता ऐसा है कि उसको तय करने में 3 घंटे भी लग जाते हैं। बातल में ही एक चाचा-चाची का ढाबा है जोकि काफी फेमस है। खैर हम लोग यहां नहीं रुके क्योंकि कुंजुम पास पार करना था तो आनंद की बतायी बातें भी याद आ रही थीं। हमलोग बातल से निकले और कुंजुम पास की चढ़ाई शुरू कर दी। कुछ देर तो रास्ता ठीक था मगर उसके बाद का रास्ता एकदम कच्चा। पहाड़ में कच्चा रास्ता और नाला यात्रा को काफी कष्टïकारी बना देता है। कुंजुम पास से गुजरते हुए कई नाले पड़े। कहीं-कहीं तो ऐसा लगा कि हमारी गाड़ी निकल ही नहीं पायेगी। ऊपर गिरते नाले और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ वाली सडक़ से हिम्मत भी जवाब दे रही थी। खैर साथीगणों की मदद से हमने नाला पार कर लिया। महादेव की कृपा रही कि गाड़ी सही सलामत अपनी मंजिल की ओर बढ़ती जा रही थी। कुंजुम की खतरनाक चढ़ाई और उतराई और अगल बगल के भयानक दृश्य मन को विचलित कर रहे थे। बता दूं कि यह यात्रा हमने शिमला से 17 जून 2021 को शुरू की थी। खैर कुंजुम पास पार होने के बाद हम मनाली की तरफ बढ़ रहे थे। मनाली से पहले और कुंजुम के बाद रास्ता काफी पथरीला हो जाता है। सडक़ नाम की कोई चीज नहीं है मगर आपको उन्हीं में से रास्ता बनाते हुए निकलना पड़ता है। हमलोग 10 और 20 की स्पीड से गाड़ी को आगे बढ़ाते हुए निकलते जा रहे थे। रास्ते में कई बाइकर और छोटी गाडिय़ों ने हमारा अभिवादन भी किया। उन्होंने सलाम किया कि ऐसे रास्ते को आप इस छोटी गाड़ी से पार कर रहे हैं। खैर पथरीले रास्ते को पार करते हुए हम आगे बढ़ ही रहे थे कि बरसात भी शुरू हो गयी। पथरीले रास्ते पर तो बारिश का असर नहीं पता लगा मगर जब आप रोहतांग की तरफ बढ़े तो फिर से चढ़ाई और कच्चे रास्तों से सामना हुआ। बारिश की वजह से गाड़ी चढ़ाई पर फिसल भी रही थी। हमलोग धीरे-धीरे गाड़ी को आगे बढ़ा रहे थे। बारिश भी तेज होने लगी तो हालात और बदतर होने लगे। जैसे-तैसे गाड़ी को पहले गियर में हमलोग चलाते हुए नीचे की ओर बढ़ चले। रोहतांग टनल से पहले काफी बर्फ भी मिली जोकि काली होने लगी थी। हमलोग तमाम जगह उतर कर फोटोशूट भी कर रहे थे और सोच रहे थे कि अब फिर दोबारा इन रास्तों पर कब आना होगा। यह सब करते करते करीब 1 बज चुके थे। कच्चे रास्ते और पहाड़ों की रहस्यमयी वादियों को पार करते हुए हमलोग अटल टनल के करीब आये तो जान-जान में आयी। काली सडक़ देखे तो जैसे जमाना बीत गया हो। हाईवे मिलने के बाद हमने गाड़ी रोकी और इन पहाड़ों को प्रणाम किया कि इन्होंने यहां से निकलने में काफी सहायता की। रास्ते में कहीं एक पत्थर का टुकड़ा भी अड़चन नहीं बना। अटल टनल में घुसते ही लगा कि हम कहां गये। बीआरओ ने ऐसा शानदार टनल बनाया है जैसा हम विदेशों में देखते हैं। स्पीड लिमिट के शानदार संकेतक पूरे टनल में लगाये गये हैं। इसके अलावा लाइट की भी अच्छी व्यवस्था है। करीब 10 किमी लम्बे टनल से रास्ता काफी सुगम हो गया है। हमलोग टनल का अवलोकन करते हुए मनाली पहुंच गये। मनाली में मॉल रोड पर कुछ खरीदारी की गयी और फिर हमने चंडीगढ़ का रास्ता पकड़ लिया। रास्ते में सोलंग वैली के दिलकश नजारों से मन हराभरा हो गया और सारी थकावट दूर हो गयी। कुल्लू के हरे-भरे पहाड़ों को पार करते हुए भूख भी महसूस होने लगी। हमलोग एक ढाबा देखकर रुके और वहां कुछ खाया पिया गया। इसके बाद मंडी की ओर बढ़ चले। मंडी से जब आप विलासपुर की ओर बढ़ते हैं तो वहां यातायात का दबाव ट्रकों की वजह से ज्यादा है। वैसे सडक़ अच्छी है। मंडी पार कर हमलोग सुंदरनगर पहुंचे। जथा नामे तथा गुणे वाली कहावत फिट बैठती है। सुंदरनगर के बगल से बहती नहर इस नगर को और सुंदर बनाती है। हमलोग दिलकश नजारे देखते बढ़ते जा रहेे थे और शाम भी गहराने लगी थी। स्थानीय लोगों ने सलाह दी रात में इस रास्ते पर चलना ठीक नहीं है। आप दिन में ही यहां से निकलें। तय हुआ कि विलासपुर में हमलोग रात्रि विश्राम करेंगे। पहाड़ों पर सैलानियों की भीड़ से ज्यादातर होटल भरे हुए थे। कुछ इस काबिल नहीं थे कि सुकून की नींद मिले। विलासपुर से थोड़ा पहले होटल पंचवटी है। काफी नाम है इस होटल का। पंचवटी में हमने कमरा ले लिया। वैसे यह होटल थोड़ा मंहगा है मगर खाना और कमरे की साजसज्जा काफी अच्छी है। हमलोग डिनर करके सोने चले गये।