बकरीद: कुर्बानी को करते हैं याद

डेस्क। ईद-उल-अजहा कुर्बानी का दिन है। ईद-उल-अजहा जिसे बकरीद भी कहते हैं यह त्योहार इस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार रमजान के पाक महीने के करीब 70 दिनों बाद आता है। बकरीद के दिन बकरे या किसी अन्य पशु की कुर्बानी दी जाती है। इसे इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से आखिरी महीने के दसवें दिन मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने के आठवें दिन हज शुरू होकर 13वें दिन खत्म होता है। ईद-उल-अजहा यानी बकरीद इसी के बीच में इस इस्लामिक महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह तारीख हर साल बदलती रहती है, क्योंकि चांद पर आधारित इस्लामिक कैलेंडर, अंग्रेजी कैलेंडर से 11 दिन छोटा होता है। यह त्योहार हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। हजरत इब्राहिम अल्लाह में सबसे ज्यादा विश्वास करते थे। अल्लाह पर विश्वास दिखाने के लिए उन्हें अपने बेटे इस्माइल की बलि देनी थी, लेकिन जैसे ही उन्होंने ऐसा करने की कोशिश की तो उनके बेटे के बजाए एक दुंबा वहां आ गया, कुर्बानी के लिए। इसी आधार पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है।