श्रावण कृष्ण पक्ष चतुर्थी : अति शुभ है यह दिन

ऩई दिल्ली। मंगलवार 27 जुलाई को श्रावण गणेश चतुर्थी व्रत है। माता-पिता को सर्वाधिक प्रतिष्ठा गणेशजी ने ही प्रदान की। गणेश विवेक हैं। ‘विद्यावरिधि बुद्धिविधाता’ हैं। ‘शोकविनाशकारकम’ हैं। प्रथम पूज्य हैं। असल में जिसके पास विवेक होगा, उसी को सनातन धर्म के अनुसार दुर्गा-आदिशक्ति, सूर्य, शिव और नारायण आदि पंचदेवों की अक्षुण्ण ऊर्जा प्राप्त होगी। इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि विभिन्न प्रकार की ऊर्जा प्राप्त करने के लिए एक निश्चित ऊर्जा-विवेक का होना अति आवश्यक है। अपने प्रिय भक्त राजा वरेण्य से गणेश गीता में गणेशजी कहते हैं-शिवे विष्णौ च शक्तौ च सूर्ये मयि नराधिप। याऽभेदबुद्धिर्योग: स सम्यग्योगो मतो मम।।अहमेव जगद्यस्मात्सृजामि पालयामि च। कृत्वा नानाविधं वेषं संहरामि स्वलीलया॥ अर्थात श्री शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और मुझ गणेश में जो अभेदबुद्धिरूप योग है, उसी को मैं सम्यक योग मानता हूं, क्योंकि मैं ही नाना प्रकार के वेश धारण करके अपनी लीला से जगत की सृष्टि, पालन और संहार करता हूं। श्रावण कृष्ण चतुर्थी व्रत के बारे में कहा जाता है कि जब माता पार्वती, शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए तप कर रही थीं और शिवजी प्रसन्न नहीं हो रहे थे, तब उन्होंने यह व्रत किया। व्रत करने के बाद ही उनका शिव से विवाह संपन्न हुआ। हनुमान जी ने माता सीता की खोज में सफलता के लिए यह व्रत किया था। रावण को जब राजा बलि ने कैद कर लिया था, तब रावण ने यह व्रत किया था। ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या ने भी इस व्रत को किया था। यह व्रत मंगलवार को पड़े, तो और फलदायी होता है। व्रत करने के समय 21 दूब जरूर चढ़ाएं, शमी और बेलपत्र के साथ। साथ ही घी, गेहूं और गुड़ से बने 21 मोदक भी गणेश जी को अपर्ण करना चाहिए। निराहार रह कर पूजा रात में चंद्रमा के उदय होने पर ही करें। उदित चंद्रमा, गणेश और चतुर्थी माता को अध्र्य अवश्य दें। गणेश जी को तीन, तिथि के लिए तीन और चंद्रमा के लिए सात अघ्र्य देने चाहिए।