गाजियाबाद। योगी सरकार कितना भी दम भर ले कि अफसरों की नकेल उसके हाथ में है लेकिन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का एक उदाहरण ही काफी है प्रदेश की तस्वीर सामने लाने के लिए। पीडि़त द्वारा प्रस्तुत आवेदन में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें अफसरों द्वारा तृतीय पक्ष का सहारा लेते हुए सूचना देने में टालमटोल की जा रही है। पीडि़त के द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र में लगाए गए आरोप के अनुसार मामला कुछ यूं है कि भवन संख्या डी 276 ए एलआईजी टी/एस सेक्टर 11 प्रताप विहार की फर्जी रजिस्ट्री प्रमोद सक्सेना कनिष्ठ लिपिक द्वारा की गई। इस मामले की जांच की गई जिसमें प्रमोद सक्सेना को दोषी पाया गया आरटीआई आवेदन कर्ता द्वारा इस मामले की जांच रिपोर्ट मांगी जा रही है। आरटीआई आवेदन कर्ता का आरोप है कि विशेष कार्य अधिकारी सुशील कुमार चौबे प्रभारी प्रशासन/जांच अधिकारी व प्रशासन विभाग में मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त लिपिक द्वारा प्रमोद सक्सेना से सांठगांठ के तहत जन सूचना अधिकार का उल्लंघन करते हुए छाया प्रतियां देने से तृतीय पक्ष का सहारा लेते हुए इनकार किया जा रहा है जबकि पूर्व में इसी तरह के मामलों में जन सूचना अधिकार के तहत छाया प्रतियां आरटीआई आवेदन कर्ता को प्राप्त कराई गई हैं। पूर्व में भी इसी प्रकार की सूचना देने से मना किया गया था लेकिन पीडि़त आरटीआई आवेदन कर्ता द्वारा माननीय राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में गुहार लगाने पर तत्कालीन विशेष अधिकारी/ प्रभारी प्रशासन विजय कुमार सिंह द्वारा सूचना प्रदान की गई थी एंव दिनांक 9 अगस्त 2019 को बुलंद भारत फाउंडेशन रजिस्टर्ड के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह एडवोकेट द्वारा मुख्यमंत्री को विशेष अधिकारी वीके सिंह की व अन्य अधिकारी/कर्मियों की शिकायत की गई। दिनांक 16 अगस्त 2019 को वीके सिंह ओएसडी का ट्रांसफर एडीएम बरेली (प्रशासन) के पद पर हो गया। यहां अवगत कराना आवश्यक है कि जन सूचना अधिकार 2005 के अंतर्गत प्रकरण से प्रकषटन से छूट के प्रकरण से स्पष्ट उल्लेख है कि ऐसी सूचना के लिए जिसको यथा स्थित सांसद या किसी अन्य विधानमंडल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता है किसी व्यक्ति को इनकार नहीं किया जा सकेगा। पूर्व में किसी प्रकार के मामलों में प्राप्त छाया प्रतियां एवं उपरोक्त उल्लेखित बिंदु के तहत आरटीआई आवेदन कर्ता द्वारा दो बिंदुओं पर सूचना मांगी गई थी कि भवन की जांच पत्रावली आवश्यक कार्रवाई हेतु सचिव द्वारा उपाध्यक्ष को किस दिनांक को प्रेषित की गई थी एवं उपाध्यक्ष द्वारा जांच पत्रावली पर जांच उपरांत प्रमोद सक्सेना कनिष्ठ लिपिक के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई। सूचना के साथ-साथ जांच रिपोर्ट कार्रवाई की रिपोर्ट तथा रजिस्ट्री कराने हेतु नोटशीट पर की गई नोटिंग आदि की सत्यापित छाया प्रति उपलब्ध कराई जाए।आरटीआई आवेदन कर्ता द्वारा 2 जुलाई 2021 को आवेदन प्रस्तुत करने के बाद भी एक माह तक कोई सूचना प्राधिकरण द्वारा नहीं दी गई तत्पश्चात 7 अगस्त 2021 को उपाध्यक्ष जीडीए को संबोधित करते हुए अफसरशाही से पीडि़त आरटीआई आवेदन कर्ता द्वारा पत्र प्रेषित किया गया है। आरटीआई आवेदक को आखिरी आशा मा0 राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से है जहां पर गुहार लगाने पर इसी प्रकार के मामले में पिछली बार आयोग ने प्राधिकरण से आवेदक को छाया प्रतियां उपलब्ध करवाई थी।
जीडीए में जन सूचना अधिकार अधिनियम का उड़ाया जा रहा है मखौल
