हरियाली तीज: पूरी होंगी मनोकामनाएं

फीचर डेस्क। हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। दाम्पत्य जीवन की सुख-समृद्धि से जुड़े इस दिन जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना से व्रत किया जाता है और शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है। सावन के महीने में पडऩे वाले अधिकतर त्योहार प्रकृति की हरीतिमा और सामाजिक तथा दाम्पत्य जीवन के सुख से जुड़े मालूम होते हैं। यह मास विशेष रूप से शिव और पार्वती को समर्पित है। उनका एक-दूसरे से जन्म-जन्मांतर का जुड़ाव, हरियाली तीज के माध्यम से संसार में दाम्पत्य डोर में बंधे जोड़ों के लिए मधुरता का आदर्श बनता है। यदि ध्यान दें, तो इस तीज के बाद से त्योहारों की झड़ी सी लग जाती है। शास्त्रों में वर्णन है कि मां पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए 107 जन्म लिए और शिव जी का वरण करने के लिए कठोर तपस्या की। किंतु वैरागी शिव सब भुलाकर तपस्या में रत थे। शिव जी के मन में मोह उत्पन्न नहीं हुआ। तब माता पार्वती ने 108वें जन्म में कठोर तप किया और अंतत: शिव उनके लिए प्रकट हुए। इस प्रकार शिव-पार्वती का विवाह हुआ। इसीलिए श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया अर्थात हरियाली तीज को विशेष रूप से दाम्पत्य सुख-संपदा का उत्सव मनाया जाता है। यह भी सच है कि गृहस्थ आश्रम और सुखी दाम्पत्य जीवन एक नैतिक और आदर्शवादी सामाजिक ढांचे के लिए महत्त्वपूर्ण है। इस दिन विवाहिताएं पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के साथ पूजा-व्रत आदि करती हैं।