बिहार चुनाव: क्या गुल खिलायेगा आप का दम

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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो रही हैं। सभी दल अपनी ताकत और स्तर से अपने संदेश को लोगों तक पहुंचाने में लगे हैं। जाहिर है यदि मंडल से लेकर कमंडल तक की राजनीति जब अपने चरम पर हों तो आप के सीएम अरविंद केजरीवाल भला कैसे पीछे रह सकते हैं।
मालूम होकि जेडीयू ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आप को समर्थन दिया था। यही नहीं इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी जब अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनावी दंगल में उतरे थे, तब भी जेडीयू ने उन्हें अपना समर्थन दिया था। केजरीवाल का बिहार के कुछ नेताओं के साथ बेहतर तालमेल है जिसमें नीतीश कुमार का नाम सबसे उपर है। केजरीवाल नीतीश को इस महत्वपूर्ण चुनाव में मदद कर एहसान चुकाने की तैयारी कर रहे हैं। यह चुनाव मोदी सरकार की भी एक बड़ी परीक्षा है। लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने वाराणसी में केजरीवाल के लिए प्रचार भी किया था।
लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी और ‘आप के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिहार और पुर्वांचल के वोटरों ने जमकर केजरीवाल के पक्ष में मतदान किया था, यही कारण है कि केजरीवाल बिहार में भी इस प्रयोग को आजमाना चाहते है। लेकिल सवाल यह है कि क्या बिहार चुनाव में केजरीवाल का यह दांव सफल हो पाएगा? गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली से सटे हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी आप ने यह दांव खेल था जो बेअसर रहा था ऐसे में हजार किलोमीटर दूर बिहार चुनाव में यह क्या असर दिखाएगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ताओं की संख्या बहुत ज्यादा न हो, लेकिन वे 2 से 4 फीसदी मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इससे मोदी के नाम पर बिहार चुनाव लड़ रही बीजेपी की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। बिहार में जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के सामने बीजेपी के लिए 2-4 फीसदी वोट काफी अहम होगा।
दिल्ली हारने के बाद बिहार चुनाव बीजेपी के लिए काफी अहम है। अब अगर बिहार में भी मोदी के नाम का जादू नहीं चला तो बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनावों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। बिहार के बाद अगले 2 वर्ष के भीतर उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों में चुनाव होने हैं। बिहार में बीजेपी की हार से मोदी लहर मंद पडऩे का संदेश जाएगा। राजनीतिक गलियारों में सवाल यह भी उठना लाजिमी है कि ‘आपÓ बिहार चुनाव में बेशक नीतीश को समर्थन देने की बात कर रही हो, लेकिन यह एकमात्र वजह नहीं हो सकती है।
आप की ओर से पार्टी नेता परवीन अमानुल्लाह द्वारा लोगों के लिए किए जा रहे कार्यो की चर्चा हो रही है। पार्टी की कहना है बिहार को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए आप के लोगों ने कमर कस ली है। कुल मिलाकर स्थिति यह है कि बिहार में आम आदमी पार्टी काफी जोर-शोर से लोगों से जोडऩे के प्रयास में लगी है। आप का दावा है कि बिहार की सभी मुख्य पार्टियां अपनी विश्वसनीयता खो चुकी हैं और उस रिक्तता को हम भरेंगे। पार्टी का कहना है कि बिहार भले ही राज्य में पार्टी कार्यालय या कोई समिति न हो, लेकिन यहां के लोगों के दिलों में हम बसते हैं। यकीनन इस बात में कोई दो राय नहीं की आम आदमी पार्टी भी इसी चुनाव के बहाने बिहार में पार्टी विस्तार की रणनीति पर काम कर रही है। जेडीयू-आरजेडी गठबंधन केजरीवाल की लोकप्रियता और छवि को भुनाने का कोई मौका नहीं छोडऩा चाहता है। बिहार में 11 फीसदी से ज्यादा शहरी आबादी है, जहां केजरीवाल अपनी छवि से वोटरों का मूड बदल सकते है।
बिहार के प्रत्येक विधान सभा सीट पर करीब 50000 नए मतदाता जुड़े हैं, जिसे रिझाने का प्रयास भी किया जा सकता है। लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के दोषी हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के खिलाफ आप दिल्ली में चुनाव लड़ चुकी है। ऐसे में इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि केजरीवाल नीतीश सहित जेडीयू के कुछ गिने-चुने चेहरों के प्रचार तक ही अपने आपको सीमित रखे। अब देखना यह है कि बिहार में करीब 2 महीने बाद होने वाले चुनाव के दौरान यहां की जनता किसका सपना तोड़ती है और किसका बुनती है।