देश छोड़ विदेश में बसते करोड़पति

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राजकुमार सिंह।
नारे गरीबी मिटाने के लगते रहे, पर देश में अमीर बढ़ते रहे, और अब चौंकाने वाला सच यह सामने आया है कि वे तेजी से विदेश पलायन भी कर रहे हैं। लगभग 68 साल पहले आजादी मिलते समय जिस भारत की पहचान गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा और अस्वास्थ्य थे, आज उसकी गिनती करोड़पतियों के मामले में दुनिया में दसवें नंबर पर होती है। करोड़पतियों की सूची में अमेरिका स्वाभाविक ही पहले स्थान पर है तो चीन पांचवें स्थान पर। बेशक भारत में करोड़पतियों की बढ़ती संख्या गर्व की बात है, पर इस बात का प्रमाण भी कि गरीब भले ही कम न हो रहे हों, लेकिन अमीर लगातार बढ़ रहे हैं, और तेजी से बढ़ रहे हैं। दरअसल पिछले एक साल में तो भारत में करोड़पतियों की संख्या में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सही मायने में करोड़पतियों की संख्या देश में 196000 से उछल कर 250000 पर पहुंच गयी है, लेकिन विडंबना यह है कि इस तेज रफ्तार अमीरी का देश और शेष देशवासियों को खास लाभ नहीं मिल रहा।
सरकार-दर-सरकार गरीबी मिटाने के नारे दिये जाते रहे, लेकिन सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी को नजरअंदाज कर दें तो वास्तव में गरीबों की संख्या में देश में कभी कमी आयी ही नहीं। नतीजतन अमीर-गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ती रही। 1991 में केंद्र में पदारूढ़ हुई पी वी नरसिंह राव सरकार द्वारा आर्थिक उदारीकरण शुरू करने के बाद यह खाई और भी चौड़ी होती गयी। कमोबेश हर सरकार ने विकास का लाभ गरीबों तक न पहुंच पाने पर चिंता तो जतायी, पर वे समावेशी विकास सुनिश्चित नहीं कर पायीं। नतीजतन गरीबों और अमीरों, दोनों की ही संख्या बढऩे का विरोधाभास हमारी विकास अवधारणाओं और प्राथमिकताओं पर ही सवालिया निशान बन गया है। ऐसे में अगर यह सच सामने आये कि आर्थिक उदारीकरण की लहर पर चढ़कर अमीर बने भारतीय भी अब अपने और बच्चों के बेहतर भविष्य की चाह में तेजी से विदेश पलायन कर रहे हैं तो उनके सरोकारों से लेकर सरकारी नीतियों तक पर सवाल उठना स्वाभाविक है। भारतीय करोड़पतियों में विदेश पलायन की प्रवृत्ति का खुलासा करने वाली वैश्विक संपदा सलाहकार सेवा प्रदाता संस्था न्यू वर्ल्ड वैल्थ की रिपोर्ट भी टिप्प्णी करती है कि अगर ये भारतीय अपने ही देश में रहे होते तो आज भारत का चेहरा कुछ और होता, और शायद दूसरे देशों को नुकसान उठाना पड़ता।
दरअसल पलायन कर विदेश में बसने वाले भारतीयों की संख्या मामूली नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 से 2014 के बीच 61000 भारतीय देश छोड़ विदेश जाकर बस गये। पिछले 10 साल में ही भारतीय करोड़पतियों में से 27 प्रतिशत विदेशी बन गये हैं। सिर्फ चीन ही इस मामले में हमसे आगे है, जिसके 91000 करोड़पतियों ने पिछले 14 सालों में विदेश में बसने के लिए देश छोडऩा पसंद किया है। ये करोड़पति भी ऐसे-वैसे नहीं हैं। इन अल्ट्रा हाई नैट वैल्यू इंडियन का पैमाना एक और वैश्विक संस्था नाइट फ्रैंक ने कम से कम 300 करोड़ डॉलर की संपदा का स्वामी माना है। नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट एक और चौंकाने वाला खुलासा करती है कि हर चार करोड़पति भारतीयों में से एक विदेश बसने का इरादा रखता है। जाहिर है, ये तथ्य चौंकाने वाले हैं, पर इनसे कुछ सवाल भी खड़े होते हैं, जिनके जवाब खासकर हमारी सरकार को देने-खोजने होंगे। बेशक विदेश बसने वाले करोड़पति भारतीयों की इच्छा अपनी संपदा को और तेजी से बढ़ाने की तो है ही, लेकिन कुछ और कारण भी हैं, जिनका सीधा संबंध हमारे देश की व्यवस्था और परिस्थितयों से है। ये लोग अपने परिवार और बच्चों को न सिर्फ सुरक्षित वातावरण, बल्कि बेहतर शिक्षा, रोजगार और जीवन स्तर भी देना चाहते हैं। अकसर आलोचना का पात्र बनती रही देश की कर व्यवस्था और उच्च कर दर भी इस विदेश पलायन का एक कारण है। दरअसल अलग-अलग कारणों से विदेश बसने वालों के गंतव्य भी अलग-अलग हैं। मसलन, बेहतर शिक्षा और जीवन स्तर की चाह वालों के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया पसंदीदा गंतव्य हैं, तो कर लाभ पाने वालों के लिए संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर।
वैसे बेहतरी के लिए विदेश में बसने की यह प्रवृत्ति सिर्फ भारतीय करोड़पतियों तक सीमित नहीं है। जैसा कि ऊपर लिखा गया है, चीनी करोड़पति इस मामले में भारतीयों से भी आगे हैं। विदेश में बसने की चाह से अछूते फ्रांस, इटली, रूस सरीखे देशों के करोड़पति भी नहीं हैं। अगर वैश्विक स्तर पर देखें तो विदेश बसने वाले करोड़पतियों की पसंद के गंतव्यों में ब्रिटेन की राजधानी लंदन सबसे ऊपर है। उसके बाद अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग का नंबर आता है। संभव है कि पलायन कर विदेश बसने से हमारे करोड़पतियों का जीवन बेहतर हो जाये, लेकिन बेहतर यही होगा कि हमारी सरकार देश को ही इतना बेहतर बनाने का संकल्प ले कि कम से कम बेहतरी की चाह में किसी को वतन छोड़कर न जाना पड़े। तभी शायद पलायन की यह प्रक्रिया उलट भी सकेगी, जिससे निवेश भी आयेगा और विकास को नयी रफ्तार भी मिलेगी।