रावत ने यशपाल आर्य को बताया शगुन की ठेकी

देहरादून। कांग्रेस ने पौने पांच साल बाद ‘घर वापसी’ करने वाले कद्दावर दलित नेता यशपाल आर्य को मंगलवार को ‘शगुन की ठेकी’ बताया और कहा कि कई और भाजपा नेता उसके संपर्क में हैं।
आर्य और नैनीताल से उनके विधायक पुत्र संजीव के कांग्रेस में शामिल होने के एक दिन बाद कांग्रेस महासचिव हरिश रावत ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष बातचीत में कहा कि आर्य को वह ‘शगुन की ठेकी’ (मटकी) मानते हैं जो पूरी तरह से दही से भरी हुई है।
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘पिछली बार शगुन की ठेकी उनकी तरफ (भाजपा में) चली गई थी जो इस बार हमारे पास आ गई है।’’ विधानसभा चुनावों से पहले आर्य की कांग्रेस में वापसी को सत्ता विरोधी लहर को थामने की कोशिश में लगी भाजपा के लिए जबरदस्त झटका माना जा रहा है। यशपाल आर्य उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। रावत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस दल-बदल को प्रश्रय नहीं देती और उत्तराखंड के लिए इसे अशुभ मानती है लेकिन कहा कि ‘‘अगर भाजपा हमसे दल-बदल की गेंद से खेलेगी तो हम भी चूकेंगे नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा दल-बदल का खेल करेगी तो हम केवल जवाब देंगे। भाजपा हमसे दल-बदल की गेंद से खेलेगी तो अब की बार हम भी चूकेंगे नहीं।’’ पिछले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस से 10 विधायक पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बार भी 2022 की शुरूआत में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले पुरोला सीट से कांग्रेस विधायक रहे राजकुमार, कांग्रेस के समर्थन से जीते धनोल्टी के निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार और भीमताल के निर्दलीय विधायक राम सिंह कैडा भाजपा का दामन थाम चुके हैं। आर्य की कांग्रेस में वापसी के फैसले को हाल में पंजाब में दलित मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद रावत के उत्तराखंड में भी इसकी वकालत करने और उनके चुनाव क्षेत्र बाजपुर में किसानों की बडी संख्या के चलते उनकी चुनावी संभावनाओं पर असर पडऩे के अलावा भाजपा से उनकी नाराजगी को भी कारण माना जा रहा है। आर्य की तरह कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए कई अन्य नेताओं की भी यह शिकायत रही है कि नए दल में उन्हें ‘स्वीकार्यता’ नहीं मिली। इसी शिकायत को लेकर पिछले दिनों देहरादून के रायपुर क्षेत्र से विधायक उमेश शर्मा काउ भाजपा हाईकमान से भी मिले थे।