नगर निगम ने सिटी फॉरेस्ट में अवैध रूप से बनाया अपना डंपिंग ग्राउंड

श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के गाजियाबाद आगमन की सूचना से नगर निगम के कामकाज में अचानक बिजली जैसी फूर्ती आ गई तथा त्योहारों के अवसर पर शहर में फैले इधर-उधर कूड़े के अंबार का उठान भी शुरू हो गया। परंतु असली समस्या कूड़े के उठान की नहीं बल्कि उसके डंपिंग की थी जिसका विगत 15 दिनों से नगर निगम से द्वारा कोई स्थाई समाधान नहीं निकाला जा सका था । समय के अभाव के कारण नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा आनन फानन शहर की सडक़ों से कचरा उठाया गया तथा महामाया स्टेडियम के पीछे सिटी फॉरेस्ट की खाली जमीन पर डलवा दिया गया । परंतु कचरे के ढेर को डालते हुए नगर निगम द्वारा न तो पर्यावरण का ध्यान रखा गया और ना ही सिटी फॉरेस्ट की हरियाली को होने वाले नुकसान का। राजनगर एक्सटेंशन तथा गालंद में डंपिंग ग्राउंड बनाने के जबरदस्त विरोध के बाद नगर निगम द्वारा इन दोनों ही स्थानों में कचरा डालने का कार्य रुकवा दिया गया था। फल स्वरूप शहर की कॉलोनियों में कूड़े का अंबार लगना शुरू हो गया था। हालत ऐसी थी कि पिछले 15 दिनों से कॉलोनियों में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे रहते थे जिसमें से सड़ांध आती रहती थी। कुछ दिनों तक चोरी-छिपे नगर निगम द्वारा दूसरे स्थानों पर भी कचरे की डंपिंग का प्रयास किया गया परंतु वहां भी उन्हें विरोध झेलना पड़ा। नतीजतन कॉलोनियों के कूड़े को सडक़ के किनारे ही नगर निगम द्वारा पिछले 15 दिनों से डंप किया जा रहा था। परंतु अब क्योंकि मामला गवर्नर साहिबा के आगमन का था इसलिए मजबूरी में ही सही, नगर निगम को सडक़ों की सफाई के लिए डंप किए गए कूड़े का उठान करना पड़ा। परंतु सिटी फॉरेस्ट की खाली पड़ी 32 एकड़ जमीन पर नगर निगम की 130 गाडिय़ों का कूड़ा डंप किए जाने की वजह से सिटी फॉरेस्ट की हरियाली के नष्ट होने का खतरा पैदा हो गया है ।