गोपाष्टमी पर विशेष: विश्व के 145 देशों के नोटों पर है गाय के चित्र

सुधीर लुणावत। छत्तीसगढ़ राज्य के जिला राजनांदगांव में स्थित आदिवासी अंचल ग्राम मोहला के तेजक़रण जैन जो रिटेल मेडिकल स्टोर का संचालन के साथ-साथ गौवंश पर आधारित विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का संकलन भी करते है.1977 में भारतीय डाकटिकट पर जैन को गाय का चित्र देखने को मिला तब से गौवंश पर संकलन शुरू किया। जैन के इस अनूठे संकलन में गोवंश चित्रांकित विश्व के 145 देशों एवं राज्यों के 473 भिन्न भिन्न प्रकार के सन् 1858 से 2021 तक के कपड़े, कागज़ एवं पॉलीमर्स करेंसी बैंक नोट एकत्र किये है, जिसमें सभी नोटों पर गौ परिवार का दर्शन होता है।
गौवंश पर केंद्रित संकलन जो कभी लिफ़ाफ़े में कैद था को अपने अथक प्रयास से न सिर्फ लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड तक पहुँचाया अपितु इनकी प्रदर्शनियों के माध्यम से गौ करुणा अभियान भी चलाया।
जैन का मानना है कि किसी शिक्षित व्यक्ति को समझाना बहुत कठिन होता है किंतु उसके सामने प्रमाणित वस्तुओ को प्रदर्शित किया जाए तो विचारों में परिवर्तन आता है। इसके लिए मैने प्रदर्शनी के माध्यम से चलाया “गौ करुणा अभियान”.इसी धारणा पर मैं भिन्न-भिन्न स्थानों पर प्रदर्शनियां आयोजित करने लगा। पहली सेंचुरी से अब तक के एलुमिनियम से लेकर सोने के सुन्दर गोवंश टंकित दुर्लभ, प्राचीन, जनपदों, रियासतकालीन प्रचलित विभिन्न सिक्कों का संग्रह जिसमें गोवंश अंकित है। विश्व के 115 देशों की 1234 डाक सामग्री के माध्यम से 35 विषयों मे लगभग 900 पन्नो का विशाल संकलन जिसमें गौवंश की जन्म से मृत्यु तक की संपूर्ण कहानी. इसके अतिरिक्त अभिलेख पत्र, बैंक चेक, क्रेडिट -डेबिट कार्ड, माचिस की डिब्बियाँ, कलात्मक वस्तुओं, मूर्तियों आदि को भी प्रदर्शित किया जाता हैं। उपरोक्त सभी सामग्रियों में दर्शकों को गौवंश का दर्शन होता है। गौवंश के प्रति करुणा और उसके धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व को जनमानस के समक्ष लाने हेतु अब तक नेपाल सहित भारत के दस राज्यों छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश में अपनी 39 एकल प्रदर्शनियां और 20 प्रस्तुतियां आयोजकों के साथ मिलकर की है। उनका उद्देश्य है कि गोवंश के प्रति स्वस्फूर्त करुणा भाव जागृत हो, लोग गौशालाओ एवं जीवदया पर कार्यरत संस्थाओं को स्वप्रेरणा से तन-मन-धन से योगदान दे, कृषक गौमूत्र, गोबर से भूमि की उत्पादकता, कीटनाशक निर्माण के साथ-साथ पंचगव्य मनुष्य की आरोग्यता में उपयोगी सिद्ध हो। वर्तमान में हमारी युवा पीढी गाय को दूध देने वाला प्राणी मात्र मानती है. गौवंश के मह्त्व को ज्ञानवर्धक प्रमाणित तथ्यों के साथ युवाओ के समक्ष लाना, जिससे हमारे संस्कृति और सभ्यता की रक्षा हो सके। संसार में कुछ कार्य ऐसे होते है जिनके प्रत्यक्ष परिणाम दिखाई नहीं देते किन्तु हम सभी को सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्य मान कर करना ही चाहिए। जैन ने किसी संस्था, संगठन स्थापित नहीं किया. जो किया अपना नैतिक कर्तव्य मानकर किया. अपनी समस्त सेवाए नि:शुल्क देने के लिए आप जैन संतों के समक्ष संकल्पबद्ध है।