माया की मांग: बंद हो बीजेपी के भडक़ाऊ बयान

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की सभी मांगों के समाधान पर जोर देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के कथित भडक़ाऊ बयानों पर रोक लगाने की मांग की है। बसपा प्रमुख ने सोमवार सुबह ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लगभग एक वर्ष से आन्दोलनरत किसानों की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग स्वीकार किये जाने के साथ-साथ उनकी कुछ अन्य जायज मांगों का भी सामयिक समाधान जरूरी है ताकि वे संतुष्ट होकर अपने-अपने घरों को लौटकर अपने कार्यों में फिर से पूरी तरह जुट सकें। मायावती ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘साथ ही, कृषि कानूनों की वापसी की केन्द्र सरकार की खास घोषणा के प्रति किसानों में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है कि भाजपा के नेताओं की बयानबाजी पर लगाम लगे जो प्रधानमंत्री की घोषणा के बावजूद अपने भडक़ाऊ बयानों आदि से लोगों में संदेह पैदा करके माहौल को खराब कर रहे हैं।’ उन्नाव से भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा था, ‘‘विधेयक तो बनते-बिगड़ते रहते हैं, फिर वापस आ जाएंगे, दोबारा बन जाएंगे, कोई देर नहीं लगती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं मोदी जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने बड़ा दिल दिखाया और विधेयक के बजाय राष्ट्र को चुना। जिनके इरादे गलत थे, जिन्होंने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए, उन्हें करारा जवाब मिला है।’’ऐसे बयानों को आधार बनाकर रविवार को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी सत्तारूढ़ भाजपा की मंशा पर सवाल उठाए थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि भाजपा का दिल साफ नहीं है और वह उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद इस संबंध में फिर से विधेयक लाएगी। कांग्रेस ने भी भाजपा नेताओं के बयान का हवाला देकर कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान को छलावा करार दिया।