पीएम हाउस से सीएम हाउस तक थी भगवाधारियों की पैठ

dhirendrasant gyanchandraswami
योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। फिल्म और राजनीति की तरह धर्म की दुनियां में हमेशा से वर्चस्व की जंग रही। इसमें कई लोगों को जहां अपनी जान से हांथ धोना पड़ा तो कुछ को जेल जाना पड़ा। धर्म के नाम पर ऐसे-ऐसे साधु-संत रहे जिनका प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों के यहां तक इतना दब-दबा रहा कि ये लोग मंत्रियों के विभाग बदलवाने तक की हैसियत रखते थे। संतो-कथावाचकों के सत्संगों में नेताओ और संवैधनिक पदों पर बैठे लोगों पहुंचना उनके आगे नतमस्तक होना भी ऐसे लोगों के महिमामंडन का बड़ा कारण रहा। एक साल से जेल में बंद आशाराम बापू की कथा सुनने वालों में कई सफेदपोश लोग आज सत्ता में शीर्ष पर बैठे है। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेहद नजदींकी लोगों में रहे धीर चन्द्र जिन्हे लोग अध्यात्म की दुनिया में धीरेन्द्र ब्रम्हचारी के नाम से जानते है साधू के वेश में रहने वाले धीरेन्द्र ब्रम्हचारी बंदूकों का अवैध कारोबार करते थे। अपनी योग साधना के चलते वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को प्रभावित करने में सफल रहे। मूलत:बिहार के रहने वाले धीरचन्द्र यानि धीरेन्द्र ब्रम्हचारी असलियत तब खुली तब खुली जब जम्मू में उनकी बंदूको की अवैध फैक्ट्री पकड़ी गई। इस गन फैक्ट्री का नाम शिवागन के नाम से हुआ करता था। 9 जून 1994 को एक विमान दुर्घटना में मारे गए धीरेन्द्र ब्रम्हचारी के अपने तीन निजी विमान और निजी हवाई अड्ड थे। इंदिरा गांधी के निधन के बाद उन्हें राजीव गांधीके कार्यकाल में कोई खास तबज्जों नहीं मिली। धीरेन्द्र ब्रम्हचारी से इंदिरा गांधी इतना प्रभावित थी की उनकी गाड़ी बेरोकटोक पीएम हाउस में प्रवेश कर जाती थी। लेकिन इंदिरा गांधी के निधन के बाद उनका यह दबदबा खत्म हो गया। दिल्ली में उन्होंने विश्वनाथ योग आश्रम बनाया था। औ जिस तरह इंदिरा गांधी धीरेन्द्र ब्रम्हचारी से प्रभावित थी ठीक उसी तरह प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव विवादास्पद तांत्रिक नेमिचन्द्र उर्फ चंद्रा स्वामी से प्रभावित थे। धोखाधड़ी के मामले मे जेल जा चुके चंद्रा स्वामी का प्रधानमंत्री पर इतना प्रभाव था कि राव सरकार में गृहराज्यमंत्री राजेश पायलट का न सिर्फ उसने अपमानित किया बल्कि उनका विभाग भी बदलवा दिया था। पायलट ने गृहमंत्री रहते हुए चंद्रास्वामी की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। धीरेन्द्र ब्रम्हचारी की तरह इनकी गाड़ी बिना किसी रोकटोक के पीएम हाउस में चली जाती थी। एक समय उत्तर प्रदेश में संत ज्ञानेश्वर की हत्या का मामला खासा सुर्खियों में रहा। उन पर सुल्तानपुर के पूर्व सांसद इन्द्रभद्र की हत्या का आरोप था। इलाहाबाद के हंडिया में 10 फरवरी 2006 में उनकी सात समर्थकों के साथ संत ज्ञानेश्वर की बमों से मार कर हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या का आरोप पूर्व सांसद इन्द्रभद्र के विधायक पुत्र चन्द्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह पर लगा। संत ज्ञानेश्वर के बारे में एक चर्चा आम थी कि उनके बाराबंकी स्थित आश्रम में जितने सेवादार होते थे वे सब महिलाएं होती थी। उनके आश्रम में पुरूषों का प्रवेश वर्जित था। आश्रम में पुरूषों के प्रवेश पर रोक और वहां केवल महिलाओं का ही होना इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं रही।