मुरादनगर में पार्टियां तो बहुत है पर नए प्रत्याशियों का है टोटा

श्यामल मुखर्जी, मुरादनगर । सन 1967 में अस्तित्व में आई मुरादनगर विधानसभा सीट का मिजाज जनपद की अन्य विधानसभाओं से कुछ जुदा है। यहां पार्टियां आती और जाती रही पर जीतने वाले प्रत्याशियों के चेहरे कमोबेश वही है । अर्थात प्रत्याशियों ने समय-समय पर पार्टियां बदली और जीत कर आते रहे। दिलचस्प बात यह है कि विगत 55 वर्षों में यहां मात्र 8 विधायक ही बदले हैं। प्रदेश में कबीना मंत्री रह चुके राजपाल त्यागी मुरादनगर विधानसभा से 5 बार विधायक चुने गए। 2017 में उन्हीं के पुत्र अजीत पाल त्यागी ने इतिहास दोहराते हुए मुरादनगर विधानसभा सीट जीती तथा विधायक बने। मुरादनगर विधानसभा सीट से सर्वप्रथम जी एस चौधरी चुने गए थेजो कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे । उन्होंने आरपीआई के प्रत्याशी अलबेल को हराया था। 1967 के उपरांत इस सीट पर जीत हासिल करने वाले दल प्रत्येक चुनाव में बदलते रहे। सन 1989 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे राजपाल त्यागी ने यहां जीत हासिल की। इसके बाद 1991 में राजपाल त्यागी ने कांग्रेस का टिकट लेकर चुनाव लड़ा तथा भाजपा के केशव त्यागी को लगभग 19000 वोटों से पराजित किया। सन 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में मुरादनगर की सीट जनता दल के प्रत्याशी प्रेम सिंह के खाते में गई । 3 साल के बाद ही 1996 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए । इस बार राजपाल त्यागी नहीं कांग्रेस छोडक़र सपा ज्वाइन की मुरादनगर सीट से जीत कर लौटे । 2002 में राजपाल त्यागी ने पार्टी बदल कर फिर से कांग्रेस का दामन थामा तथा राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार विवेक त्यागी को पराजित किया। 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायक रह चुके राजपाल त्यागी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की । परंतु 2007 तक कांग्रेस निर्दलीय और सपा के हाथ में रही मुरादनगर सीट पर बहुजन समाज पार्टी काबिज हो गई। इस बार बसपा के बहाव चौधरी के सर पर जनता ने जीत का सेहरा बांधा। परंतु 2017 के चुनावों में यह सीट फिर से राजपाल त्यागी के बेटे अजीत पाल त्यागी के पाले में आ गई जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अपनी जीत हासिल की।